बिहार में मदरसों के लिए सरकारी खजाना खोलने पर बाल अधिकार आयोग सख्त: मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को तलब किया

बिहार में मदरसों के लिए सरकारी खजाना खोलने पर बाल अधिकार आयोग सख्त: मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को तलब किया

PATNA: बिहार की नीतीश सरकार ने मदरसों के लिए सरकारी खजाना खोल रखा है. बड़े पैमाने पर मदरसों को सरकारी खजाने से पैसा दिया जा रहा है. अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस पर सख्त एतराज जताते हुए कहा है कि ये संविधान का उल्लंघन है. आय़ोग ने बिहार के मुख्य सचिव को इस मामले में सफाई देने के लिए हाजिर होने को कहा है.


मदरसों को क्यों दे रहे हैं सरकारी पैसे?

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि बिहार के मदरसों को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग ने पहले भी बिहार सरकार से जवाब मांगा था. लेकिन सरकार की ओर से भेजा गया जवाब असंतोषजनक है. आयोग ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत देश के हर बच्चे को शिक्षा देना है. संविधान के मुताबिक भी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करना किसी भी बच्चे का मौलिक अधिकार है. संविधान में ये भी कहा गया है कि सरकार को किस तरह बच्चों को शिक्षा दिलाना है.


मदरसों से संविधान का उल्लंघन

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि बच्चों को किसी स्कूल में भेजने के बजाय मदरसों में सरकारी पैसे से शिक्षा दिलाना संविधान का उल्लंघन है. बिहार सरकार कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे पायी है कि मदरसों को क्यों सरकारी मदद दी जा रही है. 


सरकार से मांगा जवाब

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग ने बिहार सरकार से कहा है कि वह हलफनामा दायर करे कि बिहार में कोई ऐसा मदरसा नहीं चल रहा है जो रजिस्टर्ड नहीं हो. सरकार ये भी बताये कि मदरसों में कितने गैर मुस्लिम छात्र पढ़ रहे हैं. उनकी पूरी जानकारी दी जाये. सरकार ये भी बताये कि मदरसों से कितने गैर मुस्लिम बच्चों ने 12वीं तक की शिक्षा पूरी की है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग ने बिहार सरकार से पूछा है कि मदरसों की शिक्षा पूरी करने के बाद कितने गैर मुस्लिम बच्चों को मौलवी बनाया गया है.


मुख्य सचिव को हाजिर होने को कहा

बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यूनिसेफ और एनसीईआरटी को भी नोटिस भेजा है कि मदरसों में कौन सा पाठ्यक्रम पढाया जा रहा है. आयोग ने कहा है कि कई बार समय दिये जाने के बावजूद बिहार सरकार ने मदरसों को लेकर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया है. लिहाजा बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी खुद 22 फरवरी को दोपहर तीन बजे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में हाजिर होकर इन सारे बिन्दुओं पर जवाब दें.