PATNA: बिहार में हर रोज़ कई बच्चे लापता होते होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि राज्य में हर साल औसतन पांच हजार बच्चे गुम होते हैं। हालांकि कई बच्चों के लापता होने के बाद तो रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराई जाती। पुलिस ने जो रिकॉर्ड जारी किया है, उसके अनुसार पिछले तीन साल में बिहार से 16559 बच्चे लापता हुए थे। अगर बात इन बच्चों के बरामदी की करें तो केवल 7219 बच्चों के नाम हैं। 9340 बच्चे का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
इस आधार पर देखा जाए तो लापता बच्चों में सिर्फ 45 फीसदी बच्चे बरामद हो पाते हैं। पुलिस के तैयार किए आंकड़ों को देखें तो 2019 में 7297 बच्चे लापता हुए थे। इनमें 3188 बच्चे ही वापस घर लौट पाए, जबकि 4109 बच्चे की तलाश अभी तक नहीं हो पाई। वहीं, 2020 में लापता बच्चों की संख्या 2867 थी। इसमें 1193 बच्चे को बरामद कर लिया गया, लेकिन 1674 बच्चों का अब तक पता नहीं चल पाया है।
2021 की बात करें तो 6395 बच्चों के लापता होने का मामला दर्ज कराया गया था। इनमें 2838 बच्चों को खोज लिया गया, जबकि 3557 बच्चे अब तक नहीं मिल पाए। आप सोच रहे होंगे कि आखिर इतने बच्चे लापता कहां से होते हैं तो आपको बता दें कि राज्यों की इस लिस्ट में रेलवे पुलिस क्षेत्र जमालपुर, मुजफ्फरपुर और कटिहार भी शामिल हैं। रेलवे क्षेत्र मसलन स्टेशन या ट्रेन से लापता होने वाले बच्चों की संख्या भी शामिल है।
गौर करने वाली बात है कि सबसे ज्यादा बच्चे पटना, गया, भागलपुर, मोतिहारी, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सारण, गोपालगंज और रोहतास जिले से लापता होते हैं। इन जिलों में औसतन हर साल 200 से अधिक बच्चे गुमशुदा होते हैं। इनमें पटना से 2019 में 870, 2020 में 360 और 2021 में 830 बच्चों के लापता होने का मामला दर्ज हुआ था। हैरानी कि बात ये भी है कि पटना में पचास फीसदी से भी कम बच्चों को बरामद किया जाता है। शेष बच्चों का कोई पता नहीं चल पाता है।