बिहार में BJP के नेताओं को भी पुल पार करने में लग रहा है डर: सरकारी कार्रवाई पर भी भरोसा नहीं

बिहार में BJP के नेताओं को भी पुल पार करने में लग रहा है डर: सरकारी कार्रवाई पर भी भरोसा नहीं

PATNA: बिहार में पिछले 15 दिनों में ताबडतोड़ पुल गिरने के बाद बीजेपी के नेता भी डर गये हैं. आलम ये है कि बीजेपी के नेताओं को भी बिहार में पुल पार करने में डर लगने लगा है. उन्हें सरकारी कार्रवाई पर भी भरोसा नहीं है. पिछले 15 दिनों में बिहार में कम से कम एक दर्जन पुल ढ़ह गये हैं. 3 जुलाई को ही बिहार में 5 पुल ध्वस्त हो गये. 


बीजेपी नेता को सता रहा डर

बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने सोशल मीडिया पर अपने डर को उजागर किया है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर उन्होंने जो लिखा है उससे सियासी हलचल मच गयी है. पहली दफे बीजेपी के किसी नेता ने पुलों के गिरने पर ऐसा बयान दिया है. वैसे बिहार में ताबड़तोड़ पुल गिरने के बावजूद बीजेपी और जेडीयू दोनों पार्टियों के नेता सरकार का बचाव करते ही दिखे हैं. 


बीजेपी नेता निखिल आनंद ने कहा है कि उन्हें बिहार में किसी भी फ्लाइओवर या पुल से गुजरने में डर लग रहा है. उन्होंने आश्चर्य जताया है कि पिछले 10 दिनों में आधा दर्जन पुल ध्वस्त हो गए हैं. निखिल ने गंभीरता से पुल गिरने की जांच कराने की मांग की है.


निखिल आनंद ने सोशल मीडिया पर लिखा है- बिहार में किसी फ्लाइओवर या पुल से गुजरने में मुझे डर लग रहा है. 10 दिनों के अंदर आधा दर्जन पुलों का ध्वस्त हो जाना आश्चर्यजनक है. इसकी गंभीर जांच कराना जरूरी है. कंस्ट्रक्शन कंपनी की जवाबदेही तय होनी चाहिए और ब्लैकलिस्ट करना चाहिए. इंजीनियरों पर भी मुकदमा दर्ज होना चाहिये. 


जेडीयू ने कहा-तेजस्वी जिम्मेवार 

वैसे, बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को पुल गिरने के लिए जिम्मेवार करार दिया है. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार के दौरान पथ निर्माण विभाग करीब डेढ़ साल तक आरजेडी के पास रहा था. तेजस्वी यादव इस विभाग के मंत्री थे. जेडीयू के पास यह विभाग अभी ही आया है, ऐसे में पुलों के गिरने की नैतिक जिम्मेदारी आरजेडी और तेजस्वी की बनती है. 


नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले मंत्री अशोक चौधरी ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार में एनडीए सरकार बनने के बाद जेडीयू के पास ग्रामीण कार्य विभाग आय़ा है. उसके बाद लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू थी. लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद काम करने के लिए 20 दिन का समय ही मिला. ऐसे में पुलों के गिरने की जिम्मेदारी 20 दिन वाली पार्टी की नहीं बल्कि डेढ़ साल तक जिसके पास विभाग रहा उसकी बनती है.


वहीं, केंद्रीय मंत्री और हम के नेता जीतनराम मांझी ने पुल गिरने के पीछे साजिश का आशंका जताते हुए कहा था कि 6-8 महीने पहले पुल क्यों नहीं गिर रहे थे. मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पुल गिरने की जांच कराने की मांग की है.