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1st Bihar Published by: Updated Wed, 11 Mar 2020 05:37:46 PM IST
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PATNA : भारतीय जनता पार्टी ने बिहार से अपने एकमात्र राज्यसभा उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है। राज्यसभा का कार्यकाल पूरा कर रहे बीजेपी सांसद डॉ सीपी ठाकुर की जगह अब उनके बेटे विवेक ठाकुर को पार्टी ने सदन में भेजने का फैसला किया है। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने भूमिहार वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखने की पूरी कोशिश की है। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व को ऐसा लगता है ठाकुर परिवार से किसी सदस्य को राज्यसभा भेजे जाने के बाद बिहार में भूमिहार वोट बैंक सिक्योर हो जाएगा।
बिहार से बीजेपी के दो राज्यसभा सांसद और डॉ सीपी ठाकुर और आर के सिन्हा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। विधानसभा में मौजूदा गणित के हिसाब से बीजेपी कोटे से किसी एक उम्मीदवार को ही राज्यसभा भेजा जा सकता है। पार्टी ने अब सीपी ठाकुर की बजाय उनके बेटे विवेक ठाकुर को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। विवेक ठाकुर को पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह बुरी तरह से चुनाव हार गए थे।
2010 के विधानसभा चुनाव में विवेक ठाकुर का टिकट कटने के बाद उनके पिता डॉ सीपी ठाकुर ने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ने का ऐलान कर दिया था लेकिन काफी मानन-मनौव्वल के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था। विवेक ठाकुर को इसके पहले बीजेपी नेतृत्व ने विधान परिषद में भी एडजस्ट किया और वह कुछ दिनों तक एमएलसी भी रहे लेकिन अब आखिरकार डॉ सीपी ठाकुर ने अपने बेटे की सियासत को बीजेपी में सेट कर दिया।
विवेक ठाकुर को राज्यसभा भेजे जाने के फैसले के बाद यह तय हो गया है कि विधान परिषद में अब बीजेपी कायस्थ समुदाय को तरजीह देगी। बीजेपी ने कायस्थ समुदाय से आने वाले आर के सिन्हा का पत्ता साफ कर दिया है। बताया जा रहा है कि आर के सिन्हा को लेकर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व नाराज था। पिछले लोकसभा चुनाव में आर के सिन्हा अपने बेटे ऋतुराज के लिए पटना साहिब से टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को उम्मीदवार बना दिया। आर के सिन्हा के समर्थकों ने खुलकर रविशंकर प्रसाद का विरोध किया था। बेटे ऋतुराज के लिए आर के सिन्हा का विरोध करना भारी पड़ गया। भूमिहार समाज को पहले से ही बीजेपी का मजबूत वोट बैंक माना जाता है। पार्टी के अंदर इस तबके से आने वाले नेताओं की कमी नहीं है बावजूद इसके एक ही परिवार से पहले पिता और फिर अब बेटे को राज्यसभा भेजे जाने के बाद पार्टी के अंदर इस तबके से आने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ सकती है।