बिहार में बिजली का संकट, डिमांड बढ़ने से कटौती की स्थिति बनी

बिहार में बिजली का संकट, डिमांड बढ़ने से कटौती की स्थिति बनी

PATNA : बिहार भीषण बिजली संकट की चपेट में है। जी हां, सेंट्रल सेक्टर से बिहार को 1000 मेगावाट कम बिजली की आपूर्ति हो रही है और बढ़ती गर्मी के बीच बिहार में बिजली की डिमांड बनी हुई है। जिस कारण राज्य बिजली संकट की चपेट में आ गया है। बिहार में यह हालात तब हैं जब राज्य बिजली के मामले में सर प्लस स्टेट हो चुका है।


राज्य में बिजली संकट की स्थिति ऐसी है कि पूरे प्रदेश में शाम में 6 घंटे तक रोटेशन में बिजली दी जा रही है। शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक प्रदेश में लोड शेडिंग करनी पड़ रही है। खासकर ग्रामीण इलाकों में बिजली संकट गहरा गया है। शहरी इलाकों को प्राथमिकता के आधार पर बिजली दी जा रही है। भीषण गरमी के कारण इस समय सूबे की बिजली डिमांड 6200-6400 मेगावाट पहुंच गयी है। जबकि उपलब्धता 5400 मेगावाट तक ही हो पा रही है।


देश में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर होने से बिजली संकट की आशंका शुरू हो गई। गर्मी बढ़ने की आशंका के चलते माना जा रहा है कि अप्रैल के अंतिम हफ्ते तक बिजली की मांग भी बढ़ेगी। बिहार को एनटीपीसी से 5200 मेगावाट बिजली के लिए करार है, लेकिन यहां से इस समय 4200 मेगावाट बिजली ही मिल रही है। इसके अलावा बिहार को पवन ऊर्जा से 250 मेगावाट, सौर उर्जा से 300 मेगावाट और प्राइवेट सेक्टर से बिजली मिल रही है। लिहाजा बिहार को बाजार से 12 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदकर आपूर्ति करनी पड़ रही है। राज्य के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा है कि तकनीकी कारणों से सेन्ट्रल सेक्टर से कुछ कटौती होने के कारण बिजली की किल्लत है। हम बाजार से भी बिजली खरीद रहे हैं। हालात सामान्य रखने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।