बिहार में 5 सीटों पर वोटिंग शुरू: 80 कैंडिडेट मैदान में ; रूडी के सामने लालू की बेटी तो चिराग की किस्मत का भी होगा फैसला

बिहार में 5 सीटों पर वोटिंग शुरू: 80 कैंडिडेट मैदान में ; रूडी के सामने लालू की बेटी तो चिराग की किस्मत का भी होगा फैसला

SARAN : लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में बिहार की पांच सीटों पर आज वोटिंग शुरू हो गई है। इस चरण में राज्य की पांच लोकसभा सीटों सारण, हाजीपुर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी में सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हुआ। आज शाम 6 बजे तक होने वाली इस वोटिंग में 95 लाख 11 हजार 186 वोटर्स हिस्सा लेंगे। इसमें से 49 लाख, 99 हजार, 627 पुरुष, 45 लाख, 11 हजार, 259 महिलाएं और 300 थर्ड जेंडर के वोटर्स अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।


वहीं, इस चरण के लिए 9 हजार, 433 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इनमें शहरी क्षेत्रों में 1214 और ग्रामीण इलाकों में 8219 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं। पांचवें चरण में सबसे ज्यादा कुल 80 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें 75 पुरुष और 5 महिलाएं शामिल हैं। इसके साथ ही साथ इस चरण की वोटिंग को लेकर पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील किया है कि "लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में आज 8 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 49 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। इस चरण के सभी मतदाताओं से मेरा अनुरोध है कि वे अपना वोट जरूर डालें और मतदान का एक नया रिकॉर्ड बनाएं। महिला और युवा वोटरों से मेरी यह विशेष अपील है कि लोकतंत्र के इस महोत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें"।


बिहार के अंदर पांचवें चरण में सीतामढ़ी में जदयू के देवेशचंद्र ठाकुर के सामने राजद के पूर्व सांसद अर्जुन राय मुकाबले में हैं। वहीं, मधुबनी में भाजपा ने सांसद अशोक यादव को मैदान में उतारा है जबकि उनके मुकाबले में राजद से पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. अली अशरफ फातमी खड़े हैं। मुजफ्फरपुर में भाजपा प्रत्याशी राजभूषण निषाद और कांग्रेस के टिकट पर उतरे पूर्व भाजपा सांसद अजय निषाद के बीच मुकाबला है। 


वहीं, सारण में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद की पुत्री रोहिणी आचार्य पहली बार चुनाव मैदान में हैं। वहां वह दो बार के सांसद भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी से मुकाबला कर रही हैं। हाजीपुर (सुरक्षित) संसदीय सीट से राजद ने फिर से पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम को उतारा है, जबकि यहां से एनडीए की ओर से लोजपा-आर के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान अपने पिता के गढ़ को बचाने के लिए पहली बार मैदान में उतरे हैं।