बिहार में 4 लाख बच्चों ने नहीं भरा मैट्रिक का फॉर्म, कोरोना महामारी ने बदल दिए हालात

बिहार में 4 लाख बच्चों ने नहीं भरा मैट्रिक का फॉर्म, कोरोना महामारी ने बदल दिए हालात

PATNA: 2022 में होने वाली बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में शामिल होने के लिए फॉर्म भरने का समय अब ख़त्म हो चुका है. लेकिन, करीब चार लाख छात्र-छात्राओं ने फॉर्म नहीं भरा है. जबकि, लगभग 17 लाख छात्र-छात्राओं का 2022 की मैट्रिक परीक्षा में भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ था.


बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने अभी कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है कि कितने विद्यार्थियों ने फॉर्म नहीं भरा है. वहीं, सूत्रों के मुताबिक यह संख्या 25 से 30 फीसदी तक हो सकती है. इतने विद्यार्थी 2022 की मैट्रिक परीक्षा में शामिल होने से अब वंचित रह जाएंगे.   

 

आपको बता दें कि पिछले कई वर्षों से यह संख्या महज 50-60 हजार ही रहती थी. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 14 अगस्त 2021 से परीक्षा फॉर्म भरने की शुरुआत की थी. समिति की ओर से तीन नवंबर 2021 तक कुल आठ बार परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि को बढ़ाया गया था. लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में परीक्षा फॉर्म नहीं भरे गए.


परीक्षा फॉर्म भराने की शुरुआत के साथ ही बोर्ड ने साफ कर दिया था कि यदि कोई विद्यार्थी ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित रह जाते हैं या परीक्षा में शामिल नहीं हो पाते हैं तो इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित विद्यार्थी के साथ उनके शिक्षण संस्थानों के प्रधान की होगी. इसलिए समिति प्रशासन ने ऐसे प्रिंसिपल को नोटिस भेज कर कारण बताने का निर्देश दिया है, जिनके स्कूलों में कम संख्या में फॉर्म भरे गए हैं.


इससे जुड़े शिक्षक बताते हैं कि जितने छात्रों का नौवीं में रजिस्ट्रेशन होता है, हर साल उसमें से कुछ छात्र फॉर्म नहीं भरते हैं. यह गैप पिछले वर्षों में 50-60 हजार का रहा है. इसमें कई छात्रों के परिवार फॉर्म भरने और स्कूल का शुल्क वहन नहीं कर पाते तो कुछ अन्य कारणों से छूट जाते हैं.


हालांकि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा कि फार्म भरने के लिए तिथि और बढ़ाई जा सकती है. पिछले दिनों दुर्गापूजा, दीपावली और छठ के कारण स्कूल भी बंद रहे. इस कारण भी फॉर्म कम भरे जा सके होंगे. जितने बच्चों ने मैट्रिक परीक्षा के लिए निबंधन कराया है, उनसे कितने कम ने अब तक फॉर्म भरा है, इसकी विभाग समीक्षा कर रहा है. समीक्षा के बाद ही कहा जा सकता है कि निबंधन कराने वाले कितने बच्चों ने फार्म नहीं भरा.