PATNA: बिहार में हो रहे जमीन सर्वे पर भारी फजीहत के बाद बिहार सरकार ने ये ऐलान किया था कि वह सर्वे की प्रक्रिया में संशोधन के लिए नया कानून बनाने जा रही है. मंगलवार को जब नीतीश कुमार की कैबिनेट बैठी तो इसमें जमीन सर्व के नयी नियमावली को मंजूरी दे दी गयी. जमीन सर्वे के नियमों में जो परिवर्तन किया गया है, उससे साफ दिख रहा है कि अगले दो सालों तक बिहार में सर्वे पूरा होने वाला नहीं है.
पूरे बिहार को परेशान करने के बाद सरकारी यू-टर्न
नीतीश कुमार के जमीन सर्वे को लेकर हम आपको थोड़ी पुरानी बातें याद दिलाते हैं. पिछले साल 4 जुलाई को नीतीश कुमार एक सरकारी कार्यक्रम में अपने अधिकारियों के सामने हाथ जोड़ने लगे और उनका पैर पकड़ने लगे थे. नीतीश ने अपने अधिकारियों को भरी सभा में कहा-हम आपके सामने हाथ जोड़ते हैं, आपका पैर भी पकड़ लें कि आप जल्द से जल्द भूमि सर्वे का काम पूरा कर लीजिये. नीतीश के हाथ-पैर जोड़ने के बाद आनन फानन में जमीन सर्वे कराने का ऐलान कर दिया गया.
लेकिन सरकारी अधिकारियों ने बिहार की जमीनी हकीकत का अंदाजा लगाये बगैर जमीन सर्वे का काम शुरू कर दिया. इसमें ऐसे प्रावधान किये गये कि पूरे बिहार में बखेड़ा खड़ा हो गया. बिहार से बाहर काम कर रहे लाखों लोग अपना काम-धंधा छोड़ कर पहुंच गये. उन्हें डर था कि सर्वे में उनकी जमीन ही चली जायेगी. जमीन सर्वे में इतना फसाद होने लगा कि सरकार सकते में आयी. उसे लगा कि जमीन सर्वे भारी राजनीतिक नुकसान कराने वाली है. लिहाजा कई बार सरकारी नियम बदले गये. आज ऐसे नियम बनाये गये, जिससे ये स्पष्ट हो गया कि अगर सब कुछ सरकार के मुताबिक भी चला तो भूमि सर्वे को पूरा होने में कम से कम दो साल लगेंगे.
सर्वे के नियमों में हुआ बदलाव
दरअसल, जमीन सर्वे को लेकर जो सरकारी प्रावधान है उसमें चार चरण हैं. पहले किसी भी रैयत (जमीन मालिक) को सरकार के पास ये घोषणा पत्र देकर अपनी जमीन का ब्योरा देना है. उसके बाद सरकारी कर्मचारी और अधिकारी घोषणा पत्र में दिये गये ब्योरा को उस राजस्व गांव के मानचित्र से सत्यापित करेंगे. उसके बाद लोगों ने जो जमीन का ब्योरा दिया है, उस पर दूसरे लोगों को आपत्ति या दावा करने का समय दिया जायेगा. अगर कोई आपत्ति जताता है तो सरकारी तंत्र फिर से उसकी जांच करेगा. ये सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जमीन सर्वे का अंतिम प्रकाशन होगा. अंतिम प्रकाशन के बाद भी लोगों को दावा या आपत्ति करने का समय दिये जाने का प्रावधान किया गया है.
कम से कम दो साल लगेंगे
बिहार की कैबिनेट में आज जमीन सर्वे को लेकर नियमों में बदलाव किया गया. अगर सरकार इस पर कायम रही तो भी जमीन सर्वे में कम से कम दो साल लगेंगे. देखिये सरकार ने कैसे प्रावधान किये हैं. अब लोगों को इस नियमावली के लागू होने के बाद अपनी जमीन के लेखा-जोखा का घोषणा पत्र देने के लिए 180 कार्यदिवस का समय दिया जायेगा. 180 दिन का मतलब होता है 6 महीने. लेकिन सरकार ने 180 कार्यदिवस लिखा है. यानि शनिवार-रविवार जैसे साप्ताहिक अवकाश और दूसरी छुट्टी का दिन नहीं गिना जायेगा. मतलब ये है कि लोगों को घोषणा पत्र देने के लिए कम से कम 7 महीने का समय मिलेगा.
लोगों के घोषणा पत्र समर्पित करने के बाद सरकारी तंत्र को राजस्व गांव के मानचित्र का सत्यापन करने के लिए 90 कार्य दिवस दिया जायेगा. 90 कार्य दिवस का मतलब हुआ साढ़े तीन से चार महीना. फिर रैयतों से दावा और आक्षेप की प्राप्ति के लिए 60 कार्यदिवस का समय दिया जायेगा. यानि लगभग ढ़ाई महीने का समय इस काम के लिए जायेगा.
इसके बाद रैयतों से जो दावा या आपत्ति मिलेगी, उसके निपटारे के लिए सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को 60 कार्यदिवस का समय दिया जायेगा. 60 कार्यदिवस मतलब लगभग ढ़ाई महीना. उसके बाद जमीन पर अधिकार अभिलेख का अंतिम प्रकाशन किया जायेगा. अधिकार अभिलेख के अंतिम प्रकाशन के बाद भी लोगों को दावा या आपत्ति करने के लिए 90 कार्य दिवस का समय दिया जायेगा. इसका मतलब हुआ साढ़े तीन से चार महीने का वक्त.
कुल मिलाकर देखें तो सरकारी समय सीमा के तहत भी काम हुआ तो जमीन सर्वे का काम पूरा होने में कम से कम दो साल का समय लगना है. वैसे इसी बीच 2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे. पूरा सरकारी तंत्र तीन महीने तक चुनाव में लगा होगा. इस पूरी कहानी का निष्कर्ष यही है 2026 तक बिहार में जमीन सर्वे का काम पूरा होने वाला नहीं है.
हवाई सर्वे की भी अवधि बढ़ी
बिहार में जमीन सर्वे के लिए सरकार दो स्तर पर काम कर रही है. एक ओऱ लोगों से जमीन का रिकार्ड जुटाया जा रहा है. दूसरी ओऱ हवाई सर्वे कराया जा रहा है. इस हवाई सर्वे पर सरकार 1 हजार 423 करोड़ रूपये खर्च कर रही है. हवाई सर्वे के जरिये सरकार को जमीन का नक्शा बनवाना है. 2012 में ही हवाई सर्वेक्षण की शुरूआत हुई थी. 12 साल में ये काम पूरा नहीं हो पाया. सरकार ने आज कैबिनेट की बैठक में हवाई सर्वे के लिए पैसे बढ़ा दिये. अब इस पर 1423 करोड़ रूपये से ज्यादा खर्च होंगे. हवाई सर्वे के लिए समय अवधि को भी बढ़ाया गया. अब इसे 31 दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. यानि सरकार ने साफ कर दिया है कि 2025 तक जमीन सर्वे का काम पूरा नहीं होने जा रहा है.