PATNA : बजट से पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह लगातार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठा रहे थे. देश के प्रधानमंत्री का ध्यान भी दिला रहे थे लेकिन बजट में बिहार को कुछ नहीं मिला. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बजट की सराहना की थी. लेकिन एक बार फिर जेडीयू के नेताओं ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठा दिया है. ललन सिंह ने कहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये बगैर यहां का पिछड़ेपन दूर होना मुश्किल है.
विशेष राज्य की मांग के समर्थन में उन्होंने शनिवार को भी ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि जबतक बिहार विकसित नहीं होगा, विकसित भारत का सपना साकार नहीं हो सकता. उन्होंने कहा है कि बिहारवासियों के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभिन्न क्षेत्रों में बिहार को बहुत आगे बढ़ाया है. विशेष राज्य का दर्जा मिलते ही विकास की रफ़्तार में और तरजो आयेगी. बिहार आगे बढ़ेगा और भारत विकसित राष्ट्र बनेगा.
वहीं जदयू सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि विशेष दर्जे की मांग हम लोग पहले भी करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं. यह बिहार के संपूर्ण विकास के लिए मांग की जा रही. विशेष दर्जा से बिहार का औद्योगीकरण होगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा. इसलिए हमलोग यह कहना चाहते हैं कि यदि नियम है तो उसे बदला जाना चाहिए.
इधर, जिस नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर विशेष राज्य का दर्जा देने की बात की जा रह है उसी रिपोर्ट पर शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सवाल उठा दिया है. विजय कुमार चौधरी ने कहा कि नीति आयोग ने हाल में 'बहुआयामी गरीबी सूचकांक' आधारित विभिन्न राज्यों की जो स्थिति बताई है, वह बिहार की सही तस्वीर बयां नहीं करती.
ज्ञातव्य है कि उक्त सूची में बिहार को सबसे नीचे के पायदान पर दिखाया गया है. यह सीधे तौर पर बिहार की उपलब्धियों को नकारने एवं राज्य सरकार को हतोत्साहित करने जैसी बात है. उन्होंने कहा कि गरीबी आकलन के मानकों पर नीतीश कुमार की उपलब्धियों के कारण बिहार लगातार अपनी स्थिति में सुधार करता आ रहा है. प्रति व्यक्ति आय की बात है तो लगभग 7000 रुपए से बढ़कर यह 50,000 रूपए हो चुकी है.