बिहार के सवर्णों और दलितों से कांग्रेस का मोहभंग? पार्टी के नेताओं ने ही नेतृत्व पर उठाये गंभीर सवाल

बिहार के सवर्णों और दलितों से कांग्रेस का मोहभंग? पार्टी के नेताओं ने ही नेतृत्व पर उठाये गंभीर सवाल

PATNA : बदहाली से जूझ रही कांग्रेस का क्या बिहार में सवर्णों औऱ दलितों से मोहभंग हो गया है. किसी दौर में सवर्ण, दलित औऱ मुस्लिम वोट बैंक के सहारे राज करने वाली कांग्रेस में अब ये सवाल उठने लगा है. पार्टी के नेताओं ने ही आलाकमान के फैसले पर सवाल उठाया है.


AICC में बिहार के नुमाइंदों पर उठे सवाल
कांग्रेस पार्टी के भीतर सबसे प्रमुख संस्था है AICC यानि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी. पार्टी के सारे अहम फैसलों पर इसी कमेटी की मुहर लगती है. इस दफे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में बिहार से 6 नेताओं को शामिल किया गया है. इनमें से चार मुस्लिम हैं तो दो ओबीसी तबके से आते हैं. दिलचस्प बात ये है कि 4 मुस्लिम में 3 एक ही जिले से आते हैं. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में बिहार से सवर्ण औऱ दलित वर्ग का कोई नुमाइंदा नहीं है.


पार्टी नेताओं ने ही उठाये सवाल
बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष अनिल शर्मा ने पार्टी नेतृत्व को रवैया बदलने की नसीहत दी है. अनिल शर्मा ने कहा है कि जातीय संतुलन के बगैर कांग्रेस जनता के बीच पैठ नहीं बना सकती. उन्‍होंने कहा कि एआइसीसी में बिहार से 6 नेताओं में से चार मुस्लिम और दो ओबीसी से हैं. अनिल शर्मा ने पार्टी नेतृत्व को कहा है कि उसे अपना तरीका बदलना चाहिये. AICC बिहार से अनुसूचित जाति, अति पिछड़ा वर्ग और सवर्ण जातियों को भी जगह दी जानी चाहिए.  अनिल शर्मा ने ट्वीट कर कहा है कि नये बदलाव में पार्टी के जनाधार के विस्तार के लिए धर्म, जाति एवं क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का ख्याल रखना ज्यादा श्रेयष्कर होगा.


गौरतलब है कि बिहार कांग्रेस में फेरबदल की चर्चा भी आम हैं. कांग्रेसियों के बीच चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष को बदला जा सकता है. वहीं, पार्टी के विधायकों को लेकर भी कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. विधायकों में टूट की खबर फैली तो आनन फानन में बिहार के प्रभारी भक्तचरण दास को बिहार आकर डैमेज कंट्रोल करना पड़ा.