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1st Bihar Published by: Updated Fri, 10 Sep 2021 07:51:06 PM IST
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DESK: ठीक एक सप्ताह पहले एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में गीतकार जावेद अख्तर ने RSS को तालिबान जैसा संगठन करार दिया था। इसके बाद पूरे देश में बवाल मचा है। इसी बीच आज बिहार के एक मुस्लिम धर्मगुरू ने आरएसएस को प्रतिष्ठित संगठन करार दिया है। मुस्लिम धर्मगुरू ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का भी समर्थन कर दिया है। वैसे जावेद अख्तर ही नहीं बल्कि बिहार में राजद के अध्यक्ष जगदानंद सिंह और कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह भी आरएसएस को तालिबान जैसा संगठन बता चुके हैं।
क्या बोले मुस्लिम धर्मगुरू
भागलपुर में प्रतिष्ठित खानकाह पीर दमड़िया शाह है। इसके 15वें सज्जादानशीं सैयद शाह फखरे आलम हसन ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का स्वागत किया है। दरअसल मोहन भागवत ने हाल में मुंबई में 'राष्ट्र प्रथम-राष्ट्र सर्वोपारी' मसले पर संगोष्ठी में कहा था कि अंग्रेजों ने गलत धारणा बनाकर हिंदुओं और मुसलमानों को लड़ाया था। सैयद शाह फखरे आलम हसन ने इस बयान का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जो देश से सही मायनों में प्यार करता है वह हमेशा एकता, अखंडता, भाईचारे और सद्भावना की बात करेगा। लेकिन जिसे देश से प्यार ही नहीं है वह कुर्सी के लिए लड़ेगा और अंग्रेजों तरह डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी के सहारे राज करना चाहेगा।
RSS प्रतिष्ठित संगठन
खानकाह पीर दमड़िया शाह के सज्जादानशीं सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि आरएसएस भारत का एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संगठन है. अगर RSS के प्रमुख मोहन भागवत एकता और अखंडता की बात कर रहे हैं तो उसका स्वागत किया जाना चाहिये. बल्कि सोंचना हो उन लोगों को चाहिये जो नफरत फैला रहे हैं या नफरत का जहर अपने मुंह से उगल रहे हैं. नफरत फैलाने वालों से सावधान रहने की जरूरत है. सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि देश में लोगों के बीच एकता को मजबूत करने के लिए जगह जगह पर मोहब्बत का पैगाम देने वाले प्रोग्राम किए जाने चाहिए.
भागलपुर के मुस्लिम धर्मगुरू का ये बयान जावेद अख्तर के बयान से साफ उल्टा है. पिछले सप्ताह गीतकार जावेद अख्तर ने एक अंग्रेजी चैनल से बात करते हुए आरएसएस को तालिबान जैसा संगठन करार दिया था. उन्होंने कहा था कि ऐसे संगठन को समर्थन देने वालों को सोंचना चाहिये. RSS, विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों का उद्देश्य वही है जो तालिबान का है. वो तो भारतीय संविधान ऐसा है कि इन संगठनों के इरादे पूरा नहीं हो पा रहे हैं. उन्हें मौका मिले तो वे बाउंड्री को पार कर जायेंगे.