बिहार के लाल ने 1 मिनट में लोहे के 24 सरिया को मोड़ा, गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम

बिहार के लाल ने 1 मिनट में लोहे के 24 सरिया को मोड़ा, गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम

Patna: हैरतअंगेज कारनामे करने वाले लोगों की दुनिया में कोई कमी नहीं है. आये दिन इस तरह की खबरें या फिर वीडियो आप के सामने आते होंगे. इन लोगों में कुछ अलग या अनोखा कर के अपने नाम को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का जुनून होता है. इसके लिए वो किसी हद तक जाने के लिए तैयार होते हैं. 

कल ऐसा ही कुछ अनोखा कारनामा करके बिहार के रहने वाले और हैमर हेड मैन के नाम से मशहूर धर्मेंद्र कुमार सिंह ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवा लिया है. धर्मेंद्र ने सिर्फ 1 मिनट में लोहे के 24 सरिया को अपने सिर के बल मोड़ डाला. इस से पहले भी वो कच्चा नारियल और बेल को अपने सिर पर तोड़ते देखे जा चुके हैं. मानो ये उनके लिए टमाटर जैसे हों. 

कैमूर जिले के रामगढ़ के रहने वाले धर्मेन्द्र ने सोमवार को त्रिपुरा में गिनीज बुक के प्रतिनिधि की मौजूदगी में विश्व रिकॉर्ड का ऑनलाइन फाइनल टच देते हुए कीर्तिमान बनाया और 12 एमएम की 24 सरिया को अपने सिर पर रखकर हाथ से मोड़ने का रिकॉर्ड बना डाला. ये कारनामा उन्होंने महज एक मिनट में कर डाला.

यह रिकॉर्ड पहले अर्मेनिया के अरमेन एडांटर्स के नाम था. उन्होंने 26 अप्रैल 2015 में एक मिनट में 18 सरिया मोड़ने का रिकॉर्ड बनाया था. धर्मेन्द्र कुमार पिछले एक वर्ष से इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए लगातार प्रैक्टिस कर रहे थे. बता दें की इस से पहले धर्मेन्द्र इंटरनेशनल स्टंट गेम में पहले ही विश्व रिकॉर्ड बना चुके है. इंडियन वर्ल्ड रिकॉर्ड फाउंडेशन (आईडब्लूयूआर) की ओर से 2017 में त्रिपुरा के अगरतला में आयोजित प्रतियोगिता में 2.50 मिनट में 51 कच्चे बेल (वुड ऐप्पल) सिर से तोड़ने का रिकॉर्ड बनाया था. इस प्रतियोगिता में 21 देशों के स्टंट मैन शामिल हुए थे. वहीं एक मिनट में 57 कच्चे नारियल को अपने सिर से तोड़ने का विश्व रिकॉर्ड भी धर्मेन्द्र के नाम पर पहले से ही दर्ज है. 


धर्मेन्द्र की इस उपलब्धि पर उनकी मां कुंती देवी कहती हैं कि वो बचपन से ही छिपकर खेत में सिर से फलों को तोड़ने की प्रैक्टिस करते थे. फ़िलहाल त्रिपुरा राइफल में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. इस पर उनकी मां कहती हैं कि, बेटा देश की सेवा कर रहा है साथ ही नए-नए कीर्तिमान रच कर देश का मान-सम्मान बढ़ा रहा है. इस से ज्यादा मुझे और कुछ नहीं चाहिए. वहीं धर्मेन्द्र के पिता अपिलेश्वर सिंह ने कहा कि धर्मेन्द्र पढ़ाई में बहुत तेज नहीं था, लेकिन एक बार जब कुछ करने की ठान लेता था तो कर के ही दम लेता था. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका बेटा इतना आगे बढ़ जाएगा.