BUXAR : बिहार हमेशा से ही अजीबो - गरीब हरकतों को लेकर सुर्खियों में बना रहता है। कभी यहां कभी कुत्तों का आधार कार्ड बना दिया जाता है तो कभी चूहे का पोस्टमार्टम रिपोर्ट। इसी कड़ी में अब एक और अनोखा मामला सामने आया है। इस बार अंधे का ड्राइविंग लाइसेंस बना दिया गया है।
बिहार के बक्सर जिले के केसठ प्रखंड के रामपुर गांव से एक अजब कहानी सामने आयी है। यहां के डीटीओ ने एक अंधे व्यक्ति को ड्राइविंग लाइसेंस दे दिया है। इस युवक का नाम प्रमोद कुमार पांडेय है। इस युवक को परिवहन विभाग से ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत किया गया है। जिसके बाद इस बात की चर्चा तेज है कि, क्या यह युवक सही है अंधा है या जान - बुझकर झूठ बोला जा रहा है। जिसके बाद अब इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।
दरअसल, गांव में गलत तरीके से दृष्टि दोष दिखाकर दिव्यांग का पेंशन लेने का मामला प्रकाश में आया है। इसको लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी मिथिलेश बिहारी वर्मा ने मौके पर पहुंचकर जांच की। बीडीओ ने बताया कि रामपुर गांव निवासी प्रमोद कुमार पांडेय विगत कई वर्षों से दिव्यांग प्रमाण पत्र के दिव्यांग का पेंशन का लाभ ले रहे हैं। जबकि प्रमोद कुमार पांडेय के नाम से परिवहन विभाग से ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत किया गया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि गलत तरीके से दिव्यांग की राशि का दुरुपयोग है।
गुप्त सूचना के आधार पर बीडीओ ने रामपुर जाकर जांच किया। लेकिन,परंतु प्रमोद कुमार पांडेय से भेट नहीं हुई। बीडीओ ने बताया कि वो एक बार फिर से प्रमोद कुमार पांडेय के घर जाकर मामले की जांच करेंगे। उन्होंने बताया कि मामला सही पाये जाने वाले पर उचित कार्रवाई की जायेगी।
आपको बताते चलें कि, प्रमोद कुमार पांडेय ने साल 2013 से ही दिव्यांग (दृष्टि दोष) आंख से दिखाई नही देने के प्रमाण पत्र के आधार पर पेंशन लेना शुरू किया था। फिर उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवाया जो 2023 तक वैध है। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि अगर प्रमोद दिव्यांग है तो लाइसेंस कैसे बना, अगर लाइसेंस बना तो प्रमोद को पेंशन कैसे मिला। अब इन्हीं सवालों को लेकर बीडीओ प्रमोद कुमार पांडेय के घर जाकर आरोप की जांच करेंगे।