बिहार: हत्या के 37 साल पुराने मामले में 5 दोषियों को उम्रकैद की सजा, तीन को 7-7 साल कैद; कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

बिहार: हत्या के 37 साल पुराने मामले में 5 दोषियों को उम्रकैद की सजा, तीन को 7-7 साल कैद; कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

MUZAFFARPUR: मुजफ्फरपुर के बरुराज थाना क्षेत्र स्थित विशुनपुर होरिल गांव में 37 साल पहले हुई हत्या और मारपीट के मामले में एडीजे-1 नमिता सिंह की कोर्ट ने आठ दोषियों को सजा सुनाई। कोर्ट ने पांच दोषियों को उम्रकैद जबकि तीन दोषियों को 7-7 साल की सजा और जुर्माना लगाया है।


कोर्ट ने हत्याकांड में दोषी पाए गए विशुनपुर होरिल निवासी 94 वर्षीय शिवचंद्र चौधरी, 77 वर्षीय जितेंद्र तिवारी, 75 वर्षीय कमलेश्वर चौधरी, 65 वर्षीय अशोक चौधरी, 71 वर्षीय बजरंगी तिवारी को आजीवन कारावास की सजा के साथ साथ 35 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई है। कोर्टने हत्याकांड में 25-25 हजार रुपये जुर्माना और आर्म्स एक्ट में तीन वर्ष की सजा और 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। सभी सजा साथ-साथ चलेंगी। एपीपी बच्चा पाठक ने बताया कि आठ गवाहों ने कोर्ट में गवाही दी थी।


मारपीट और जानलेवा हमला के मामले में कोर्ट ने तीन दोषियों को सात-साल साल की सजा और 26 हजार रुपये अर्थदंड लगाया है। इसमें विशुनपुर निवासी उमेश चौधरी उर्फ प्रमोद चौधरी, रमेश चौधरी, विरेंद्र चौधरी शामिल हैं। एपीपी डॉक्टर संगीता शाही ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा। अधिक से अधिक दोषियों को सजा देने की मांग की। उन्होंने बताया कि काफी पुराने मामले में सजा हुई है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मारपीट में सात-सात साल की सजा और 15-15 हजार रुपये अर्थदंड लगाया है। जबकि, धारा 148 (घातक हथियार से हमला करने) में 1-1 साल की सजा और एक-एक हजार रुपये जुर्माना लगाया है। वहीं आर्म्स एक्ट में तीन-तीन साल और 10-10 हजार रुपये अर्थदंड लगाया है।


दरअसल, साल 1986 में बरुराज थाना क्षेत्र के विशुनपुर होरिल गांव में आपसी विवाद में बैद्यनाथ चौधरी के बेटे विनोद चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद बैद्यनाथ चौधरी के बयान पर बरुराज थाने में राजदेव तिवारी, जितेंद्र, कमलेश्वर, शिवचंद्र, अशोक और बजरंगी के खिलाफ केस दर्ज किया गया। 27 जुलाई 1986 को 9 बजे बैद्यनाथ चौधरी अपने बेटे विनोद के साथ छतरपट्टी के रामलाल भगत के यहां न्योता करने साइकिल से जा रहे थे। उनका बेटा साइकिल चला रहा था।


जैसे ही दोनों गांव के ही रहने वाले रामनरेश तिवारी के घर के पास पहुंचे तो उन्होंने वहां पर भीड़ देखी। राजदेव, जितेंद्र व कमलेश्वर के हाथ में बंदूक थी। शिवचंद्र, अशोक और बजरंगी के हाथ में कट्टा था जबकि रामचंद्र चौधरी हाथ में लाठी लिए था। वहां पहुंचने पर राजदेव ने मुझसे बंदूक की गोली मांगी। इसपर उन्होंने कहा कि उनके पास अतिरिक्त गोली नहीं है। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। गोलीबारी में उनके पुत्र को गोली लग गई। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। वहीं, दूसरे पक्ष की ओर से बरुराज थाना क्षेत्र के रामचंद्र चौधरी के बयान पर एफआईआर हुई थी।