BHOJPUR: भोजपुर पुलिस ने अति पिछड़े वर्ग से आने वाली एक महिला के साथ साथ उसके नाबालिग बेटे तो चार दिनों तक थाने में रखा. चौथे दिन उसके परिजनों को खबर भेजा कि महिला ने सुसाइड कर लिया है. पुलिस शव देने को भी तैयार नहीं थी लेकिन जब हंगामा हुआ तो शव को सौंपा गया. पूरे बॉडी पर मारपीट के जख्म थे. मरने वाली महिला के परिजन चीख चीख कर कह रहे हैं कि पुलिस ने हत्या की है. लेकिन भोजपुर पुलिस ने आज थानेदार और एक सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर कार्रवाई पूरी कर ली है. हम आपको बता दें कि सर्विस रूल में सस्पेंशन यानि निलंबन कोई सजा नहीं होती.
भोजपुर के एसपी विनय तिवारी ने आज मीडिया को बताया कि पीरो थाने में पुलिस कस्टडी में महिला की मौत के मामले में थानेदार इंस्पेक्टर अशोक चौधरी के साथ साथ थाने में उस वक्त ओडी अफसर के रूप में तैनात सब इंस्पेक्टर रामकुमार हेम्ब्रम को सस्पेंड कर दिया गया है. इससे पहले कल तीन महिला सिपाहियों को सस्पेंड किया गया था जो उस महिला की अभिरक्षा में लगी थी.
कल पीरो थाने में शोभा देवी नाम की महिला की मौत हुई थी. उसके बाद जब बबाल मचा तो एसपी ने पीरो के डीएसपी को जांच करने का आदेश दिया था. पीरो के डीएसपी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. डीएसपी ने पाया कि पीरो के थानेदार अशोक कुमार चौधरी के साथ साथ ऑन ड्यूटी ऑफिसर रामकुमार हेम्ब्रम ने अपने कर्तव्य के पालन में घोर लापरवाही की है. उन्होंने अनुशासन का भी पालन नहीं किया. इस रिपोर्ट के आधार पर सस्पेंशन का आदेश जारी किया गया है.
वर्दीधारियों को बचाने की कोशिश
हम आपको बता दें कि मामला क्या है. पीरो थाना क्षेत्र के मोथी गांव में ग्रामीण चिकित्सक मंतोष कुमार की हत्या हो गयी थी. मनीष कुमार का शव एक सितंबर को एक बंद घर में पाया गया था. उस घर के पास ही शोभा देवी का घर था. मर्डर के बाद मृतक के भाई शेखर सुमन ने एक नामजद और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी. 8 सितंबर को पीरो थाना पुलिस मोथी गांव में गयी और मुन्ना प्रसाद की पत्नी शोभा देवी और उसके नाबालिग बेटे प्रकाश कुमार को पकड़ कर ले आयी.
पीरो थाना पुलिस ने चार दिनों तक अवैध तरीके से एक महिला औऱ एक नाबालिग बच्चे को थाने में बंद करके रखा. 12 सितंबर की सुबह ये खबर दी गयी कि थाने की दूसरी मंडिल पर बाथरूम में महिला का शव पाया गया है. पुलिस कह रही है कि शोभा देवी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. शव को ठिकाने लगाने की भी तैयारी थी. लेकिन स्थानीय लोगों के आक्रोश के बाद शव को परिजनों को सौंपा गया. शोभा देवी के पति बता रहे हैं कि उनकी पत्नी के पूरे बॉडी पर जख्म के निशान थे. ये साफ दिख रहा था कि उसे बर्बर तरीके से पीटा गया है. उनका आरोप है कि पुलिस की बर्बर पिटाई से जब महिला की मौत हो गयी तो पुलिस ने आत्महत्या की प्लानिंग रची.
चंद्रवंशी समाज का आक्रोश भड़का
इस घटना के बाद आज लोगों का आक्रोश भड़क उठा. चंद्रवंशी समाज के लोगों ने आज पीरो थाना का घेराव किया. लोगों का आरोप था कि पुलिस ने शोभा देवी की हत्या कर दी है. लेकिन हत्यारों को बचाने की कोशिश की जा रही है. चंद्रवंशी समाज के लोगों ने थाने का घेराव कर घंटों नारेबाजी की.
पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश
किसी सरकारी सेवा में निलंबन यानि सस्पेंशन कोई सजा नहीं होती. ये स्पष्ट है कि पुलिस ने 8 सितंबर को एक महिला औऱ उसके नाबालिग बेटे को पकड़ा. उन्हें चार दिनों से थाने में रखा गया. ये खुद अपराध है. पुलिस किसी नाबालिग बच्चे को गिरफ्तार नहीं कर सकती. किसी की गिरफ्तारी के बाद 24 घंटे के भीतर उसे कोर्ट में पेश करना होता है लेकिन पीरो पुलिस ने गिरफ्तारी या हिरासत में रखने की बात किसी कागज में दर्ज नहीं किया. महिला के शरीर पर जख्म के निशान थे।
पुलिस कस्टडी में महिला के शरीर पर जख्म के निशान कैसे बन गये. सारे तथ्य ये बता रहे हैं कि पीरो थाना पुलिस ने गंभीर अपराध किया है. लेकिन एसपी ने सिर्फ सस्पेंशन का एलान किया है. ये जगजाहिर है कि पुलिसकर्मियों का सस्पेंशन जितनी तेजी में होता है उतनी ही तेजी में उनका सस्पेशन खत्म भी कर दिया जाता है. फिर वे उसी तरह से नौकरी में लग जाते हैं. पीरो थाने के थानेदार समेत किसी पुलिसकर्मी पर केस दर्ज नहीं होना, उन्हें खुला छोड़ देना और कागजातों में हेराफेरी के पर्याप्त समय देना बता रहा है कि वर्दीधारियों के इरादे क्या हैं.