PATNA : बिहार का सियासी समीकरण जब से बदला है तब से भाजपा और जदयू एकदूसरे के आमने-सामने है। एक के बाद एक करके मुद्दे सामने आते हैं और दोनों दलें एक दूसरे पर हमलावर रहती है। ऐसे में अब जातीय सर्वें का आकड़ा सामने आने के बाद जदयू ने 'भीम संसद' का आयोजन किया है। जदयू इस आयोजन के जरिए भाजपा पर हमला बोलेगी। लेकिन, इससे पहले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी ने इसको लेकर बड़ी बातें कही है।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी ने कहा कि- यदि आज भीम संसद कार्यक्रम में नीतीश कुमार जी अपने मंत्रिमंडल में दलितो को उनके आबादी के हिसाब से शामिल करने और राज्य में आरक्षित पदों के खाली सीटों(बैक लॉग) को भरने की घोषणा करें तब ही माना जाएगा कि यह असल में भीम संसद है। नहीं तो हम कहेंगें कि यह “चेहरा चमकाउ संसद” है।
दरअसल, जदयू का भीम संसद का आयोजन आज है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका उद्घाटन करेंगे। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह इस आयोजन के मुख्य अतिथि होंगे। पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में आयोजित होने वाले इस भीम संसद में पूरे प्रदेश से दलित समुदाय के लोग शिरकत करेंगे।
मालूम हो कि, राज्य में इस साल हुई जाति गणना के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में अनुसूचित जाति यानी दलित एवं महादलित वर्ग की आबादी 19.65 फीसदी है। राज्य में पासवान यानी दुसाध, यादव के बाद दूसरी सबसे बड़ी जाति है। कुल आबादी में पासवान का हिस्सा करीब 5 फीसदी है। इसके अलावा 3 फीसदी लोग मुसहर समाज से हैं। ये दोनों ही जातियां महादलित वर्ग में आती है। ऐसे में अनुसूचित जाति के वोटर बिहार की राजनीति में मायने रखते हैं।
उधर, जाति गणना के बाद बीजेपी जहां अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) को टार्गेट करने में जुटी है। ऐसे में नीतीश ने दलित एवं महादलित पर अपना फोकस बढ़ा लिया है। दलित एवं महादलित वोटरों की राजनीति करने वाली प्रमुख पार्टियां लोजपा रामविलास, रालोजपा और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा एनडीए में है। इसलिए नीतीश कुमार इस वर्ग को महागठबंधन की ओर झुकाने के लिए दमखम लगा रहे हैं।