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DESK : कुछ दिनों पहले ही रूस ने दावा किया है की उसने कोरोना की वैक्सीन बना ली है. बरहाल इस वैक्सीन के लॉन्च होने से पहले ही कई विवाद खड़े हो गए हैं. रूस के इस दावे पर WHO को भी भरोसा नहीं हो रहा. अब इस दावे में कितनी सच्चाई है ये तो आने वाले वक़्त में पता चलेगा.
फ़िलहाल भारत की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने गिलियड साइंसेज की एंटीवायरल ड्रग रेमडेसिवीर का सबसे सस्ता जेनेरिक संस्करण लॉन्च किया. Zydus ने इसकी कीमत 2,800 रुपये ($37.44) प्रति 100mg शीशी रखी है.
दुनिया में अभी इस दावा की मांग काफी है क्योंकि कई देशों के अस्पतालों में क्लीनिकल ट्रायल के दौरान ये बात निकल कर आई है कि रेमडेसिविर कोरोना के लक्षण की अवधि को 15 दिनों से घटाकर 11 दिन कर देता है. इस कारण भी रेमडेसिविर की मांग काफी बढ़ गई है.
हालांकि जैसा की आप जानते हैं कि कोरोना की अभी तक कोई निश्चित दावा नहीं बन पाई है इसलिए डॉक्टर्स मरीजों के लक्षण और परेशानी को ध्यान में रखते हुए अलग अलग दवाओं के साथ प्रभावी उपचार करने की कोशिश करते हैं. यही कारण है कि दिल्ली और भारत के अन्य शहरों में इसकी मांग बढ़ गई है.
इस दावा को सबसे पहले अमेरिका की कंपनी ने इबोला के लिए विकसित किया था. पर अब कंपनी ने इसे भारत की सिप्ला, जुबिलिएंट लाइफ़, हिटेरो ड्रग्स और माइलॉन जैसी कंपनियों को भी दावा बनाने की अनुमति दे दी है.
फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने अपनी संभावित कोविड-19 वैक्सीन ZyCoV-D का इंसानों पर ट्रायल शुरू कर दिया है. कंपनी ने बताया कि पहले चरण में वह देश के विभिन्न हिस्सों में 1000 लोगों को इसके लिए इनरॉल करेगी. कंपनी ने कहा कि इस वैक्सीन का ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है. इस स्टेज में वैक्सीन की सेफ्टी, टॉलेरेबिलिटी (सहनशीलता) और इम्यूनोजेनिसिटी (प्रतिरक्षाजनकता) का आकलन किया जाएगा.