बेरोजगारों के साथ नीतीश-तेजस्वी का फरेब: महीनों पहले बहाल कर्मियों को ताबड़तोड़ नियुक्ति पत्र बांटा, 3 महीने में एक भी बहाली नहीं

बेरोजगारों के साथ नीतीश-तेजस्वी का फरेब: महीनों पहले बहाल कर्मियों को ताबड़तोड़ नियुक्ति पत्र बांटा, 3 महीने में एक भी बहाली नहीं

PATNA: तीन महीने पहले 10 लाख नौकरी देने के वादे के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने बिहार के बेरोजगारों को पूरी तरह से धोखा दे दिया है. जेडीयू-राजद की सरकार ने पिछले तीन महीने में अपने कार्यकाल में एक भी नौकरी नहीं दिया. वैसे दौरान ताबड़तोड़ नियुक्ति पत्र बांटे गये. नीतीश और तेजस्वी यादव ने बड़े बडे जलसे आय़ोजित कर जिन लोगों को नियुक्ति पत्र बांटा वे सारे तब बहाल हुए थे, जब नीतीश कुमार और बीजेपी की साझा सरकार चल रही थी. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार ने पिछले तीन महीने में नियुक्ति पत्र बांटने के 7 कार्यक्रम किये और सब में वही खेल किया गया. हम आपको इसका पूरा खेल बता रहे हैं.


जो पुलिसकर्मी फील्ड में तैनात थे उन्हें फिर से बांटा नियुक्ति पत्र

16 नवंबर को नीतीश कुमार औऱ तेजस्वी यादव की सरकार ने पटना में बडा जलसा आयोजित किया. इसमें 10459 पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपने की औपचारिकता निभायी गयी. कुल 10459 में से 2062 दरोगा यानि सब इंस्पेक्टर थे तो 215 सार्जेंट. बाकी 8246 सिपाही के पद पर बहाल हुए हैं. ये सारे फील्ड में तैनात थे. सरकार ने बुधवार को मोटा पैसा खर्च कर उन्हें नियुक्ति पत्र बांटने का समारोह किया. टीवी चैनलों पर सरकार ने इस कार्यक्रम का पैसे देकर यानि पेड लाइव टेलीकास्ट कराया. अब इस नियुक्ति की हकीकत जानिये


10 महीने पहले नियुक्ति पत्र, उन्हें फिर से दिया गया लेटर

बुधवार को नीतीश कुमार ने जिन 2062 दरोगा यानि सब इंस्पेक्टर थे तो 215 सार्जेंट को नियुक्ति पत्र दिया, उनकी बहाली तो 10 महीने पहले ही हो चुकी थी. 11 जनवरी 2022 को बिहार के पुलिस मुख्यालय ने 12 डीआईजी को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि वे अपने क्षेत्र से संबंधित सब इंस्पेक्टर और सार्जेंट को नियुक्ति पत्र सौंप दें. पुलिस मुख्यालय के निर्देश के मुताबिक जनवरी 2022 में ही ऐसे तमाम सब इंस्पेक्टर और सार्जेंट को संबंधित डीआईजी ने नियुक्ति पत्र सौंप दिया था. वैसे भी शुरू से पुलिस मुख्यालय की यही परंपरा रही है कि सब इंस्पेक्टर स्तर के लोगों को डीआईजी नियुक्ति पत्र देते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने 10 महीने से काम कर वेतन उठा रहे सब इंस्पेक्टर को पटना बुलाकर नियुक्ति पत्र सौंपा.


सिपाहियों के साथ भी यही खेल

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने बुधवार को 8246 सिपाहियों को नियुक्ति पत्र दिया. अब इनकी बहाली की कहानी जान लीजिये. लगभग ढ़ाई साल पहले यानि 2020 में शुरू हुई थी बिहार में सिपाही बहाली के लिए बनाये गये केंद्रीय चयन पर्षद ने 8415 सिपाहियों की बहाली की प्रक्रिया शुरू की थी. केंद्रीय चयन पर्षद ने 2 सितंबर को उनका फाइनल रिजल्ट प्रकाशित किया था. इसके बाद उसी महीने उन्हें जिलों से लेकर बीएमपी और दूसरे स्थानों पर तैनात कर दिया गया. संबंधित एसपी या कमाडेंट ने उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा और उनकी ज्वाइनिंग हो गयी. सारे सिपाहियों को नवंबर में फिर से पटना में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के समारोह में बुलाया गया और फिर से नियुक्ति पत्र थमाया गया. बिहार पुलिस के इतिहास में ऐसा पहली दफे हुआ कि मुख्यमंत्री ने सिपाही को नियुक्ति पत्र दिया. अब तक जिलों के एसपी के जिम्मे ही ये काम था. 


सिंचाई विभाग में क्लर्क की नियुक्ति में भी यही खेल

बिहार में ये तमाशा पहली बार इस साल 14 नवंबर को हुआ जब मुख्यमंत्री के हाथों लोअर डिवीजन क्लर्क को नियुक्ति पत्र दिया गया. 14 नवंबर को नीतीश कुमार औऱ तेजस्वी यादव के लिए सिंचाई विभाग की ओर से मोटा पैसा खर्च कर बड़ा सरकारी आय़ोजन हुआ. इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार औऱ तेजस्वी यादव ने सिंचाई विभाग में 974 क्लर्क और 32 जूनियर इंजीनियर को नियुक्ति पत्र सौंपा. 


क्लर्क को नियुक्ति पत्र सौंपने का किस्सा बेहद दिलचस्प है. दरअसल 2014 में बिहार कर्मचारी आयोग ने सूबे के सरकारी महकमों के लिए क्लर्क की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी. प्रक्रिया खत्म होने में लगभग 8 साल लगे. इस साल 15 जुलाई को उसका फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया गया. बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने कुल निम्नवर्गीय लिपिक यानि जूनियर क्लर्क के लिए कुल 11429 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया. उन्हें अलग-अलग विभागों और जिलों में भेज दिया गया. जुलाई में ही 974 क्लर्कों को बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग में भेजा गया था. 14 नवंबर को नीतीश कुमार ने उन्हें नियुक्ति पत्र बांटा. 

 

BPSC के इतिहास में पहली दफे नीतीश का खेल

वाकया इसी महीने 9 नवंबर का है. नीतीश कुमार ने बिहार के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में नियुक्ति हुए 281 सहायक प्राध्यापकों के साथ साथ 144 पंचायती राज पदाधिकारी को पटना में बड़ा कार्यक्रम कर नियुक्ति पत्र सौंपा. ये सारे बीपीएससी से सेलेक्टेड हुए थे. बीपीएससी ने 66वें संयुक्त परीक्षा के जरिये अलग अलग विभागों के लिए अधिकारियों का सेलेक्शन किया था. इनमें प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के 144 पद भी शामिल थे. अपने गठन के बाद बीपीएससी 66 दफे परीक्षा ले चुकी है. उसके इतिहास में ऐसा पहली दफे हुआ कि संयुक्त परीक्षा में चुने गये लोगों को महीनों बाद मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पत्र सौंपा. बता दें कि 3 अगस्त 2022 को बीपीएससीप ने उनके फाइनल सेलेक्शन की सूची जारी की थी. इसमें डीएसपी से लेकर बिहार प्रशासनिक सेवा और दूसरी सेवाओं के अधिकारी पद पर सेलेक्शन हुआ था. उधऱ इंजीनियरिंग कॉलेजों में जिन सहायक प्राध्यापकों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया उन्हें भी बीपीएससी ने सेलेक्ट किया था. उनकी बहाली की प्रक्रिया 2020 में ही शुरू हुई थी. बीपीएससी ने जून से लेकर बाद के महीनों में उनका रिजल्ट घोषित किया. इतिहास कायम करते हुए नीतीश कुमार ने उन्हें 9 नवंबर को नियुक्ति पत्र सौंपा. 


3 जून को बहाली, 3 नवंबर को नियुक्ति पत्र

सरकार ने जब नौकरी कर रहे कर्मचारियों को भी नियुक्ति पत्र बांटने की होड़ लगायी तो हर विभाग में ये खेल हुआ. 3 नवंबर को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने 183 उर्दू अनुवादकों और उर्दू से जुड़े दूसरे कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र सौंपा. बड़ा समारोह हुआ. अब इसकी हकीकत जानिये. उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति बिहार कर्मचारी चयन आयोग के जरिये हुई थी. 2019 में ही बहाली की प्रक्रिया शुरू की गयी. 3 जून 2022 को फाइनल रिजल्ट आ गया. सारे कर्मचारियों को विभागों में तैनात कर दिया गया. 5 महीने बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने उन्हें समारोह में बुलाकर नियुक्ति पत्र बांटा. 


स्वास्थ्य विभाग में यही खेल

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने 21 अक्टूबर को स्वास्थ्य विभाग में 9649 कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र बांटा. इनमें एएनएम, काउंसलर, सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर, स्वास्थ्य प्रबंधक, जिला समुदायिक उत्प्रेरक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक औऱ प्रखंड लेखापाल शामिल थे. इन सारे पदों पर नियुक्ति संविदा पर हुई है. 21 अक्टूबर को इन कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र बांटने के बाद तेजस्वी यादव ने दावा किया कि एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में बहाली कर हमने इतिहास रच दिया. बिहार के उप मुख्यमंत्री के हास्यास्पद दावे की हकीकत भी जाने. दरअसल नीतीश और तेजस्वी ने जिन स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र बांटा था उनकी बहाली 30 जुलाई 2022 को ही हो चुकी थी. उस वक्त बिहार में नीतीश औऱ भाजपा की सरकार थी. 


जून 2021 में ही राज्य स्वास्थ्य समिति ने बिहार में 8 हजार 853 एएनएम की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे. सारी प्रक्रिया पूरी होने में करीब 13 महीने लगे. आखिरकार 30 जुलाई 2022 को राज्य स्वास्थ्य समिति ने 8517 एएनएम की नियुक्ति का फाइनल सेलेक्शन लिस्ट जारी कर दिया था. वहीं बाकी पदों के लिए सेलेक्टेड कर्मचारियों की बहाली भी जुलाई में ही कर दी गयी थी. ऐसे तमाम लोगों का रिजल्ट आने के लगभग तीन महीने बाद नियुक्ति पत्र बांटा गया. 


दिलचस्प ये भी था कि जिन स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र बांटा गया उनका वेतन दिहाड़ी मजदूर और चपरासी से भी कम था. सारे कर्मचारी संविदा पर नियुक्त किये गये थे. हद देखिये कि नीतीश तेजस्वी ने जिन एएनएम को नियुक्ति पत्र बांटकर जमकर दावा किया उन 8हजार 517 नर्सों को हर महीने साढ़े 11 हजार रूपये एकमुश्त मानदेय मिलेगा. यानि उनके एक दिन का वेतन लगभग 380 रूपया होगा. दिहाड़ी मजदूर के दैनिक वेतन से भी कम. नियुक्ति पत्र पाने वालों में डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी मोबालाइजर को सर्वाधिक 20 हजार रूपये हर महीने मिलेंगे. 


फील्ड से बुलाकर राजस्व कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सराकर ने नियुक्ति पत्र बांटने का सिलसिला 20 सितंबर से शुरू किया था. सबसे पहले उसी दिन राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के 4325 राजस्व कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र दिया गया था. ये सारे कर्मचारी अलग अलग जिलों में पोस्टेड होकर काम कर रहे थे. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने उन्हें वहां से बुलाया और नियुक्ति पत्र थमा दिया. ये वही कर्मचारी थे जिन्हें दो अगस्त 2022 को तत्कालीन भूमि राजस्व मंत्री रामसूरत राय ने  जिलों में नियुक्ति का पत्र बांटा था. उनकी पोस्टिंग भी कर दी गयी और उसकी सूचना विभाग के वेबसाइट पर अपलोड भी कर दी गयी थी. 8 अगस्त को वे जिलों में थे. सरकार ने उन्हें अपनी पोस्टिंग की जगह से वापस बुलाकर नियुक्ति पत्र दिया. 


ऐसा ही खेल 27 सिंतबर को हुआ जब नीतीश कुमार ने 283 पशु चिकित्सक और 194 मत्स्य विकास पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र बांटे. ये सारे वही थे जिनकी नियुक्ति तब हो चुकी थी जब बिहार में एनडीए की सरकार थी. लेकिन बिहार में बहार है-नौकरी की भरमार है वाली सरकार ने उन्हें फील्ड से बुलाकर नियुक्ति पत्र दिया.