KOLKATA : दो दिन पहले संपन्न हुए पश्चिम बंगाल में आपने तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी, वाम दलों से लेकर कांग्रेस के प्रदर्शन पर तो चर्चा की होगी, लेकिन क्या आपको पता है कि वहां नीतीश मॉडल पर भी वोट मांगा जा रहा था. पश्चिम बंगाल चुनाव में जेडीयू भी अपनी किस्मत आजमा रही थी. बिहार सरकार के मंत्री, पार्टी के सांसद से लेकर दूसरे नेता बंगाल में नीतीश मॉडल लागू करने के लिए वोट मांग रहे थे. लेकिन ये मॉडल मिट्टी में मिल गया. हाल ये हुआ कि जेडीयू उम्मीदवारों को अपने नाते-रिश्तेदारों का भी वोट नहीं मिला. एक रिकार्ड जरूर बना, जेडीयू के प्रत्याशी ज्यादातर जगहों पर नीचे से पहले स्थान पर रहे.
बंगाल चुनाव में जेडीयू का हाल
दरअसल पश्चिम बंगाल के चुनाव में जेडीयू ने 44 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा था. पार्टी के विधान पार्षद औऱ राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बलियावी को बंगाल चुनाव की कमान सौंपी गयी थी, वे वहीं कैंप कर रहे थे. बीच-बीच में मंत्री श्रवण कुमार, सांसद संतोष कुशवाहा, राष्ट्रीय सचिव रविन्द्र सिंह जैसे नेता बंगाल में डेरा डाल कर बंगाल के लोगों को नीतीश मॉडल की खूबियां बता रहे थे.
नीतीश मॉडल पर वोटरों की गोलबंदी की कोशिश
पश्चिम बंगाल चुनाव में प्रचार करने गये बिहार के मंत्री श्रवण कुमार ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया था कि नीतीश कुमार का क्रेज पूरे देश में है. देश के लोग मानने लगे हैं कि नीतीश कुमार के लीडरशिप के मुरीद पूरे देश के लोग बन गये हैं. पश्चिम बंगाल में चारो ओर नीतीश कुमार के मॉडल की गूंज सुनायी दे रही है.
क्या हुआ नीतीश मॉडल का हाल
अब ये भी जान लीजिये कि पश्चिम बंगाल में नीतीश मॉडल का हाल क्या हुआ. जेडीयू ने 44 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की जानकारी दी थी.95 फीसदी सीटों पर जेडीयू के उम्मीदवार नीचे से पहले स्थान पर रहे. जीतने की बात सोंचिये भी मत, जमानत बचाने की भी बात मत करिये, किसी सीट पर जेडीयू के उम्मीदवार को इज्जत बचाने लायक भी वोट नहीं मिला.
नाते-रिश्तेदारों ने भी नहीं दिया वोट
पश्चिम बंगाल में चौरंगी विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू के उम्मीदवार अनिल कुमार सिंह को सिर्फ 81 वोट मिले. यहां भी मंत्री श्रवण कुमार समेत दूसरे नेता प्रचार करने गये थे. सवाल उठेंगे ही कि क्या चौरंगी विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू प्रत्याशी को उनके घऱ वालों के वोट मिले थे. उसी तरह इटाली विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू के उम्मीदवार मो. नुरूल होदा को 137 वोट मिले. कोलकाता पोर्ट विधानसभा क्षेत्र में JDU के उम्मीदवार मंजय़ कुमार राय़ को सिर्फ 175 वोट मिले.
हम आपको बता दें कि ये सभी ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां बिहारियों की तादाद अच्छी खासी है. जेडीयू ने चुन चुन कर ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे थे जहां बिहारियों की तादाद ठीक ठाक थी. लेकिन हाल क्या हुआ. इंग्लिश बाजार विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू के प्रत्याशी उमा दास को 275 वोट मिले. बिहारियों के अच्छे खासे तादाद वाले सिलिगुड़ी में जेडीयू के उम्मीदवार भूषण कुमार सोनी को 447 वोट हासिल हुए. कालचीनी विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू उम्मीदवार मदन कुमार उरांव को 423 वोट मिले. यहां निर्दलीय समेत कुल 11 उम्मीदवार थे. जेडीयू का प्रत्याशी नीचे से पहले स्थान पर रहा.
कल्लू से गाना गवाया, मंदाकिनी को बुलाया फिर भी वोटर नहीं माने
दिलचस्प बात ये है कि पश्चिम बंगाल के चुनाव में वोट बटोरने के लिए जेडीयू ने नीतीश मॉडल के साथ साथ दूसरे तमाम पैंतरे अपनाये थे. कभी दाउद इब्राहिम से रिश्तों को लेकर चर्चे में रहने वाली पूर्व फिल्म अभिनेत्री मंदाकिनी से रोड शो कराया गया. खास तरह के भोजपुरी गीत गाने वाले अरविंद अकेला कल्लू से भी रोड शो करा कर गाना गवाया गया. मंदाकिनी औऱ कल्लू ने हावड़ा में जेडीयू के लिए चुनाव प्रचार किया था. उस इलाके का हाल जान लीजिये. हावड़ा दक्षिण से जेडीयू के उम्मीदवार अमित कुमार घोष को 654 वोट मिले. बगल की हावड़ा मध्य सीट पर जेडीयू को 545 वोट मिले.
जेडीयू का कोई नेता नहीं कर रहा चर्चा
अब बंगाल चुनाव को लेकर जेडीयू की हालत ये है कि पार्टी का कोई नेता इसकी चर्चा नहीं कर रहा है. नीतीश मॉडल के हश्र ने उनकी जुबान बंद करा दी है. वैसे ये पहली दफे नहीं है जब नीतीश मॉडल को बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में भुनाने की जेडीयू की कोशिश बुरी तरह फेल हुई है. झारखंड के दो चुनावों में नीतीश मॉडल का प्रचार किया गया तो जेडीयू के किसी उम्मीदवार की जमानत तक नहीं बची. उत्तर प्रदेश, दिल्ली से लेकर हरियाणा जैसे राज्यों में भी ऐसा ही हश्र हुआ था.