DESK: घोड़ी पर होके सवार चला है दूल्हा यार...गुलाम बेगम बादशाह का यह गाना आपने जरूर सुना होगा और घोड़ी पर सवार होकर दूल्हे को बारात ले जाते भी देखा होगा लेकिन किसी दुल्हन को घोड़ी पर बैठकर दूल्हे के घर बारात लेकर जाना शायद ही देखा होगा। जी हां हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश के सतना के रहने वाले वलेचा परिवार की इकलौटी बेटी दीपा वलेचा की। जिसने समाज में यह संदेश देने की कोशिश किया कि बेटियां किसी से कम नहीं होती इसलिए बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं किया जाना चाहिए। दुल्हन दीपा वलेचा की माने तो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह कभी घोड़ी पर बैठकर इस तरह ससुराल जाएगी।
मध्य प्रदेश के सतना से कोटा के लिए निकली बारात में दूल्हे की जगह दीपा घोड़ी पर सवार हुई। उसकी खुशी देखते ही बन रही थी। बारात में शामिल लोग भी घोड़ी पर सवार बिटिया के साथ दूल्हे के घर के लिए निकले और इस दौरान जमकर ठुमके भी लगाए। दीपा के परिवार वालों ने अपनी बेटी की इच्छा पूरी की साथ ही समाज को यह संदेश भी दिया कि बेटियां किसी पर बोझ नहीं होती। इसलिए बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं किया जाना चाहिए। परिजनों ने बताया कि जितना अधिकार बेटे को है उतना ही बेटियों को भी अधिकार दिया जाना चाहिए।
दीपा के परिजनों ने बताया कि कई वर्ष के बाद उनके घर में बेटी का जन्म हुआ था जिसे परिवार के सभी लोग बहुत प्यार करते हैं। वे बेटा और बेटियों में कोई फर्म नहीं समझते। जिस प्रकार बेटों की बारात निकलती है उसी तरह उनका भी सपना था कि बेटी की बारात निकले। बेटी की बारात निकालकर समाज को यह संदेश देना चाहते है कि बेटियों का सम्मान करें, यदि बिटिया है तो कल है इसलिए बेटा-बेटी में फर्क नहीं करना चाहिए। आज भी समाज में कुछ कुरीतियां मौजूद हैं, जो बेटियों को बोझ समझती हैं. दीपा की शादी उनके लिए एक संदेश है जो बेटियों को बोझ समझते हैं. समाज के लिए ..यह सीख भी है बेटा और बेटी में कोई अंतर नही होता जितना अधिकार बेटे को है उतना ही अधिकार बेटी को समाज में देना चाहिए