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बाढ़ में उजड़ गया पूर्व विधायक का घर, टेंट में रहने को परिवार मजबूर, पत्नी को पेंशन तक नहीं दे रही सरकार

1st Bihar Published by: Updated Thu, 27 Aug 2020 01:54:45 PM IST

बाढ़ में उजड़ गया पूर्व विधायक का घर, टेंट में रहने को परिवार मजबूर, पत्नी को पेंशन तक नहीं दे रही सरकार

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PATNA :  बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. कोरोना और बाढ़ ने बिहार के लोगों की कमर तोड़ दी है. मुजफ्फरपुर से तो एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने सबको हैरान कर दिया है. दरअसल, बाढ़ के कारण एक पूर्व विधायक के परिवार का जीवन तहस-नहस हो गया है. पूर्व विधायक का परिवार बांध पर टेंट बनाकर उसमें रहने को मजबूर है. बिहार सरकार की ओर से पूर्व विधायक की पत्नी को पेंशन तक नहीं दिया जा रहा है.


मामला मुजफ्फरपुर जिले के बेलसंड-शिवहर का है. जहां बेलसंड-शिवहर के पूर्व कांग्रेस विधायक चुल्हाई दुसाध का परिवार बर्बाद हो गया है. पूर्व एमएलए का परिवार बीते 10 साल से बांध पर तिरपाल गिराकर रहने को मजबूर है. मीनापुर प्रखंड की हरशेर पंचायत के गंगबरार गांव में खपरैल घर बूढ़ी गंडक नदी में बह गया तो चुल्हाई दुसाध ने बथान को घर बनाया था. वर्ष-दर-वर्ष बूढ़ी गंडक पश्चिम में कटाव करती गई और पूर्व विधायक का परिवार मुश्किलों से जूझता गया.


चुल्हाई हजारे के निधन के बाद परिवार फटेहाली के दौर से गुजरने लगा. उनकी पत्नी बेदामी देवी उर्फ राजमती देवी को पूर्व विधायक की पत्नी के लिए निर्धारित पेंशन तक नहीं मिली. अपनी मां को पेंशन दिलाने के लिए चिंताहरण पासवान मुजफ्फरपुर से पटना कई सालों तक दौड़े. लेकिन आज तक सरकार की ओर से उनकी मां को पेंशन नहीं मिला. चिंतारण और उनके भाइयों समेत गांव के दर्जनों परिवारों के पुनर्वास के लिए जमीन चिन्हित कर मापी की गई. नक्शा बना और अंचलाधिकारी, जिला भूअर्जन पदाधिकारी और डीएम कार्यालयों में फाइलें दौड़ती रह गईं.


आपको बता दें कि चुल्हाई दुसाध उर्फ चुल्हाई हजारे आजादी के बाद पहले बिहार विधानसभा चुनाव में बेलसंड-शिवहर संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर निर्वाचित हुए थे. उस चुनाव में संयुक्त विधानसभा क्षेत्र से एक अनुसूचित जाति के और एक सामान्य जाति के विधायक एक साथ निर्वाचित हुए थे. साल 1957 में बेलसंड-शिवहर संयुक्त क्षेत्र नहीं रहा. जब मेजरगंज आरक्षित सीट बनाया गया तो चुल्हाई हजारे 1962 में वहां से चुनाव लड़े परन्तु हार गए. वे 1967 में सकरा सुरक्षित सीट पर भी चुनाव हार गए। वर्ष 1979 में उनका निधन हो गया था.


बताया जाता है कि विधायक रहते हुए और बाद में भी चुल्हाई दुसाध साइकिल से चलते थे. बाद में वे गांव में दो-चार रुपये मासिक फी पर बच्चों को ट्यूशन बढ़ाने लगे. जो फी देने की स्थिति में नहीं थे, उन्हें भी अपने बच्चों के साथ नि:शुल्क पढ़ाते थे. चुल्हाई दुसाध के पुत्र चिंताहरण पासवान, मणिकांत पासवान और  अमरनाथ पासवान का परिवार बांध पर प्लास्टिक की सिरकी टांगकर बसर कर रहा है.