DESK : अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण की शुरूआत के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम टल गया है. गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद देश के हालात को देखते हुए ये फैसला लिया गया है. भूमि पूजन के इस कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होने वाले थे.
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम दो जुलाई को सुबह 8 से 10 बजे तक के बीच होना था. कोरोना के कारण उत्पन्न हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस आयोजन में शामिल होने का फैसला लिया था. लेकिन आज इस कार्यक्रम को टाल देने की खबर दी गयी है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया- देश की सुरक्षा हम सबके लिए सर्वोपरि है. अब देश की परिस्थितियों को देखते हुए निर्माण शुरू करने की अगली तारीख तय की जायेगी.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि है कि भारत-चीन सीमा की परिस्थिति गंभीर है. देश के हर नागरिक के लिए अपनी मातृभूमि की सुरक्षा सबसे पहला कर्तव्य है. ऐसे में ये फैसला लिया गया कि ये समय मंदिर निर्माण कार्य को शुरू करने का उचित समय नहीं है. ट्रस्ट ने तय किया है कि देश की परिस्थितियों को देखते हुए भूमि पूजन की नई तारीख तय की जायेगी. लोगों को इसकी जानकारी दे दी जायेगी.
राम मंदिर निर्माण की पूरी हो गयी थी तैयारी
अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर बनाने की सारी तैयारी पूरी कर ली गयी थी. मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण का काम लार्सन एंड टुब्रो कंपनी को सौंपा है. दो जुलाई को भूमि पूजन के साथ ही मंदिर के लिए नींव खुदाई का काम भी शुरू होना था. इस समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी मौजूद रहना था.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया है. इसके बाद श्रीराम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ है. राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए पिछले 25 मार्च को ही श्रीरामलला को अस्थाई मंदिर में विराजित किया गया था. उसके बाद मंदिर के निर्माण के लिए चिह्नित 67 एकड़ जमीन को समतल किया जा चुका है.
मंदिर के लिए जमीन समतल करने के दौरान ही वहां ब्लैक टच स्टोन के सात खंभे, छह रेडसैंड स्टोन के खंभे, पांच फुट के नक्काशीनुमा शिवलिंग और मेहराब के पत्थर, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, पुष्प कलश और नक्काशीदार खंभों के अवशेष मिले थे. पुरातत्वविदों ने इन अवशेषों को 8वीं शताब्दी का बताया था.