DESK : वक्फ संशोधन विधेयक को शीतकालीन सत्र में पारित कराने की तैयारी में बैठी केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। संसद में विधेयक पर गठित जेपीसी के कार्यकाल को बजट सत्र तक बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है। समिति के अध्यक्ष ने सदन में जेसीपी का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
दरअसल, वक्फ विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के कार्यकाल को बजट सत्र तक बढ़ाने की मंजूरी दिए जाने से वक्फ संशोधन विधेयक को शीतकालीन सत्र में पारित कराने की तैयारी में बैठी केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। उसे अब विधेयक पारित कराने के लिए मानसून सत्र तक इंतजार करना होगा। समिति अब अपनी रिपोर्ट बजट सत्र के अंतिम दिन पेश करेगी। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने सदन में जेसीपी का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
वहीं, जब यह प्रस्ताव पेश किया जा रहा था, उस समय भी विपक्ष नारेबाजी कर रहा था। इस पर संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि विपक्षी सदस्यों को आड़े हाथ लिया और कहा कि उनकी मांग पर वक्फ पर गठित जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाया गया है, लेकिन वह इसके बाद भी हंगामा कर रहे हैं। समिति के अध्यक्ष पाल ने बताया कि समिति के पास अभी काफी काम है। उसे उन छह राज्यों से बात करनी है, जहां वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद है। इनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, तमिलनाडु व कर्नाटक आदि शामिल हैं।
मालूम हो कि, वक्फ का शाब्दिक अर्थ होता है किसी चीज को रोक देना। वक्फ बोर्ड को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि जब मुस्लिम समाज कोई संपत्ति वक्फ बोर्ड को डोनेट करता है, तो वह उस संपत्ति को 'अल्लाह के नाम पर' रोक रहा होता है। यानी यह संपत्ति मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए होती है /कानूनी नजरिए से देखा जाए तो वक्फ अधिनियम की धारा 3 के मुताबिक, "वक्फ का मतलब मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी चल या अचल संपत्ति का स्थायी समर्पण है। "