अति पिछड़ों के लिए आवाज उठाने की सजा? MLC रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता रद्द, राजद की शिकायत पर विधान परिषद सभापति का फैसला

अति पिछड़ों के लिए आवाज उठाने की सजा? MLC रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता रद्द, राजद की शिकायत पर विधान परिषद सभापति का फैसला

PATNA: बिहार विधान परिषद से बडी खबर सामने आयी है. राजद के विधान पार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी की सदस्यता रद्द कर दी गयी है. विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने ये फैसला सुनाया है. रामबली चंद्रवंशी के खिलाफ राजद ने शिकायत दर्ज करायी थी, जिसके बाद सभापति ने फैसला सुनाया है. 


बता दें विधान परिषद में राजद के सचेतक सुनील सिंह ने सभापति को पत्र लिखकर रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. सुनील सिंह ने शिकायत की थी रामबली चंद्रवंशी राजद के विधान पार्षद होने के बावजूद सार्वजनिक सभाओं में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. ये दलबदल कानून के तहत कार्रवाई का मामला बनता है इसलिए उनकी विधान परिषद की सदस्यता रद्द की जाये. 


दरअसल रामबली सिंह चंद्रवंशी ने अति पिछड़ों का हक दिलाने के लिए यात्रा निकाली थी. वे लगातार ये कह रहे थे बिहार सरकार में बैठे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव अति पिछड़ों के साथ हकमारी कर रहे हैं. कर्पूरी ठाकुर ने जिन जातियों को अति पिछड़ा माना था, उसके साथ हकमारी हो ही है. नीतीश कुमार ने संपन्न और मजबूत जातियों को अति पिछड़ा घोषित कर दिया है, इससे जो वाकई अति पिछड़े हैं उनका हक मारा गया है. रामबली चंद्रवंशी ने कहा था कि राजद जो चाहे कर ले लेकिन वे समाज हित के लिए अपनी आवाज उठाते रहेंगे. 


आज बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए लिखा..“इस मामले में वादी और प्रतिवादी दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) में नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार प्राप्त है, परंतु यदि कोई नागरिक किसी राजनीतिक दल के सदस्य की हैसियत से सदन का सदस्य है तो उसे अपने आचरण एवं व्यवहार से दल के अनुशासन, संविधान और नियम के अनुपालन हेतु सदैव तत्पर रहते हुए पुनीत कर्तव्य का निर्वहन भी सुनिश्चित करना चाहिए. इसलिए माननीय सदस्य प्रो० (डॉ०) रामबली सिंह के कृत्य, आचरण एवं व्यवहार से स्पष्ट है कि उन्होंने अपने मूल राजनीतिक दल, राष्ट्रीय जनता दल का स्वेच्छया परित्याग कर दिया है.”


सभापति देवेशचंद्र ठाकुर ने लिखा है- माननीय सदस्य डा० सुनिल कुमार सिंह, तत्कालीन उप मुख्य सचेतक (सत्तारूढ़ दल) की याचिका दिनांक 02.11.2023 को स्वीकार करते हुए मैं यह घोषणा करता हूँ कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 191(2) एवं संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा- 2(क) तथा बिहार विधान परिषद् सदस्य (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियम, 1994 के प्रावधानों के आलोक में बिहार विधान परिषद् के माननीय सदस्य प्रो० (डॉ०) रामबली सिंह इस सदन के सदस्य होने से निरर्हित हो गए हैं. इसके साथ ही लिखा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 190(3) (क) के प्रावधान के आलोक में बिहार विधान परिषद् में माननीय सदस्य प्रो० (डॉ०) रामबली सिंह का स्थान आज, दिनांक 06.02.2024 अपराह्न के प्रभाव से रिक्त हो गया है.