DESK : कोरोना वायरस से बचने के लिए सबसे कारगर है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और मास्क का उपयोग करना. कोरोना काल में मास्क पहनना संक्रमण से बचने के लिए सबसे जरुरी है. सरकार ने इसे हर जगह अनिवार्य कर दिया है साथ ही ऐसा न करना दंडनीय अपराध माना जायेगा. लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए मास्क पहनना नुकसानदेह हो सकता है. इसे देखते हुए ब्रिटेन सरकार ने अस्थमा के मरीजों को मास्क पहनने से छूट दे दी है, पर उन्हें विशेष सावधानी बरतने को कहा है. कोरोना वायरस सबसे पहले इंसान के फेफड़े को अटैक करता है. अस्थमा मरीज के फेफड़े किसी सामान्य इंसान की तुलना में कमजोर होते है इसलिए उन्हें विशेष सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी.
विशेषज्ञों के अनुसार मास्क पहनने से अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है मास्क चेहरे को ढक देता है जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है, साथ ही चेहरा ढका होने की वजह से इंसान को बार बार गर्म और नम हवा में सांस लेना पड़ता जो संक्रमण के खतरे को और बढ़ा देती है. गर्मी में ये परेशानी और बढ़ जाती है. ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए आइये जानते हैं:-
1. डॉक्टरो के मुताबित अस्थमा के मरीजों को कोशिश करना चाहिए की वो घर से बाहर कम ही निकलें.
2. प्रदूषित माहौल या तेज धूप हो तो बाहर निकलने से बचें.
3. मास्क के रूप में आप हमेशा सूती कपड़े का ही इस्तेमाल करें.
4. मास्क यदि पसीने से गिला महसूस हो तो तुरंत बदल लें.
5. घर से बाहर निकलने से 20 मिनट पहले मास्क पहनकर देखें, अच्छा महसूस करें तो ही मास्क लगाकर बाहर जाएं.
6. डॉक्टर द्वारा बताया गया इनहेलर को हमेश साथ रखें, और जरुरत महसूस होने पर तुरंत इस्तेमाल करें
कोविड-19 व अस्थमा के लक्षणों में कुछ समानताएं हैं, लक्षण दिखें तो डाक्टर से मिलें घबराएं नहीं. यदि उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है तो उन्हें कहीं ना कहीं यह भी महसूस हो सकता है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इसलिए अस्थमा के मरीजों को जब अस्थमा अटैक आए तो उन्हें बिल्कुल भी घबरा कर यह नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया है. लक्षणों को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए और जब आपको लगे कि यह अस्थमा अटैक नहीं है तो तुरंत सरकार के द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें और डॉक्टर की सलाह लें.