PATNA: क्या राजद के राजकुमार और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव अपनी कुर्सी के लिए आरजेडी नेताओं के हक को कुर्बान कर रहे हैं. बिहार में लगातार दो आयोग के गठन के बाद राजद नेताओं के बीच यही सवाल तैर रहा है. तेजस्वी की पार्टी के बड़े वर्ग में खलबली है. हालांकि राजद नेता खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं लेकिन उनकी बेचैनी साफ झलक जा रही है.
विधायक राजद के और मलाई जेडीयू को
दरअसल बिहार में दो अहम आयोग के गठन के बाद राजद नेताओं में खलबली मची है. राजद और जेडीयू की सरकार बनने के बाद बिहार में दो आयोगों का गठन हुआ है. दोनों का अध्यक्ष पद जेडीयू को मिला है. पिछले महीने बिहार सरकार ने अनुसूचित जन जाति आयोग का गठन किया था. इसके अध्यक्ष की कुर्सी जेडीयू के नेता शंभू कुमार सुमन को मिली थी. अब बुधवार को बिहार में अति पिछड़ा आयोग का गठन हुआ है. इसका अध्यक्ष जेडीयू के नवीन कुमार आर्या को बनाया गया है.
कई दशकों से लालू प्रसाद यादव से जुड़े राजद के एक अति पिछ़ड़े नेता ने फर्स्ट बिहार को कहा कि आयोगों का गठऩ हैरान कर देने वाला है. बिहार में नीतीश कुमार की सरकार राजद के भरोसे चल रही है. राजद के विधायकों की तादाद जेडीयू की तुलना में लगभग दोगुनी है. कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां भी अगर जेडीयू को समर्थन दे रही हैं तो राजद के ही कारण. राजद के सहारे चल रही सरकार में मलाईदार पोस्ट जेडीयू के पास कैसे चले जा रहे हैं. राजद नेता ने कहा कि इससे पार्टी के अंदर निराशा फैल रही है. जिन कार्यकर्ताओं ने राजद को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनाया उन्हें ही पार्टी नेतृत्व नकार रहा है.
राजद नेता ये भी समझ रहे हैं कि आयोगों का गठन तेजस्वी की सहमति से ही हो रहा है. जिन दो आयोगों का गठन हुआ है उनमें सदस्य के तौर पर राजद नेताओं की भी नियुक्ति हुई है. जाहिर है तेजस्वी यादव की ओर से ही वे नाम सरकार को दिये गये होंगे. फिर तेजस्वी की सहमति से ही उऩ आयोगों के अध्यक्ष पद जेडीयू के नेताओं के पास गये होंगे.
अपनी कुर्सी के लिए पार्टी की कुर्बानी
फर्स्ट बिहार ने राजद के कई नेताओं से बात की. वे आधिकारिक तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए लेकिन ऑफ द रिकार्ड ढेर सारी बातें कहीं गयी. राजद नेताओं का एक बड़ा वर्ग ये मानने लगा है कि तेजस्वी यादव को अभी सिर्फ अपने लिए सीएम की कुर्सी दिख रही है. राजद के एक नेता ने बताया कि जिस दिन मंत्री सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दिया था उसी दिन ढ़ेर सारी बातें क्लीयर हो गयी थीं. सुधाकर सिंह ने कोई पार्टी विरोधी बात नहीं की थी और ना ही उन्होंने कोई गलत बात कही थी. लेकिन तेजस्वी यादव ने उनसे इस्तीफा लेकर नीतीश कुमार को सौंप दिया.
राजद नेता के मुताबिक पार्टी के अंदर के लोग समझ रहे हैं कि सीएम की कुर्सी को लेकर तेजस्वी और नीतीश कुमार के बीच कोई न कोई डील जरूर हुई है. तभी जगदानंद सिंह ने ये कहा था कि नीतीश सीएम की कुर्सी छोड़ेंगे और तेजस्वी मुख्यमंत्री बनेंगे. अब अगर तेजस्वी नीतीश को खुश रखने के लिए अपने मंत्री से इस्तीफा ले रहे हैं, पार्टी कार्यकर्ताओं का हक कुर्बान कर रहे हैं तो इसका मतलब क्या निकाला जाना चाहिये. इसका मतलब यही निकाला जा सकता है कि तेजस्वी को अपनी कुर्सी के अलावा दूसरा कुछ नहीं सूझ रहा है.
राजद नेताओं के बीच प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को लेकर भी खलबली है. एक पखवाड़े से ज्यादा समय से जगदानंद सिंह पार्टी का काम नहीं देख रहे हैं. वे राजद के राष्ट्रीय सम्मेलन में भी नहीं शामिल हुए और ना ही प्रदेश कार्यालय आ रहे हैं. ये वही जगदानंद सिंह ने जिन्हें लालू-तेजस्वी ने दबाव देकर अध्यक्ष बनवाया था. लेकिन नीतीश कुमार से उनका विवाद भी जगजाहिर रहे हैं. राजद नेताओं के एक वर्ग को लग रहा है कि जगदानंद सिंह को भी इसलिए कुर्बान कर दिया गया है ताकि नीतीश कुमार राजद से खुश रहें.
राजद में बढ़ता असंतोष
राजद के एक और नेता ने कहा कि लालू यादव और तेजस्वी यादव बार-बार ये फरमान जारी कर रहे हैं कि नीतीश कुमार और जेडीयू को लेकर पार्टी का कोई नेता कुछ नहीं बोलेगा. अभी उस फरमान का असर है तभी राजद के नेता चुप हैं. लेकिन ज्यादा दिनों तक ऐसी स्थिति नहीं रहेगी. राजद नेताओं के बीच जिस तरह की बेचैनी फैली है उसका बाहर आना तय है. देखना होगा कि तेजस्वी यादव इससे कैसे निपटेंगे.