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आनंद मोहन पर फंसी सरकार ने अपने बचाव में सबसे बड़े IAS अधिकारी को उतारा: मुख्य सचिव ने किया प्रेस कांफ्रेंस, लेकिन उन्हें विवादास्पद सवालों का जवाब पता ही नहीं था

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Apr 2023 02:47:44 PM IST

आनंद मोहन पर फंसी सरकार ने अपने बचाव में सबसे बड़े IAS अधिकारी को उतारा: मुख्य सचिव ने किया प्रेस कांफ्रेंस, लेकिन  उन्हें विवादास्पद सवालों का जवाब पता ही नहीं था

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PATNA: डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन की रिहाई पर देशभर में फजीहत झेल रही बिहार सरकार ने अपने बचाव में सूबे के सबसे अहम पद पर बैठे आईएएस अधिकारी को उतारा. बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने आनंद मोहन की रिहाई को सही ठहराने के लिए आज प्रेस कांफ्रेंस बुलायी. उन्होंने कहा कि पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत आनंद मोहन को छोड़ा गया है. लेकिन आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े सारे फंसने वाले सवालों को मुख्य सचिव टाल गये. मुख्य सचिव को उन सवालों का जवाब पता ही नहीं था. मुख्य सचिव दिन के लगभग एक बजे प्रेस कांफ्रेस कर रहे थे लेकिन उन्हें पता ही नहीं था कि आनंद मोहन को अहले सुबह जेल से कैसे रिहा कर दिया गया.


वैसे मुख्य सचिव ने आज एक नयी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन राजनीतिक बंदी थे. लगभग 40 आपराधिक केसों के अभियुक्त और डीएम की हत्या के दोषी आनंद मोहन को बिहार सरकार के मुख्य सचिव ने राजनीतिक बंदी करार दिया. मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने जेल मैनुअल में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदियों को छोड़ने के लिए प्रावधान बना रखा है. उन्हीं प्रावधानों के तहत आनंद मोहन को छोड़ा गया है. इसमें कोई नयी बात नहीं है. मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले 6 साल में 698 कैदियों को छोड़ा है, आनंद मोहन भी उनमें से एक हैं. 


लेकिन मुख्य सचिव की प्रेस कांफ्रेंस का सबसे अहम हिस्सा था, उनसे सवाल जवाब. मीडिया ने जितने सवाल पूछे उनमें से ज्यादातार के बारे में मुख्य सचिव को जानकारी ही नहीं थी. देखिये क्या सब पूछा गया सवाल और क्या आया जवाब. मीडिया का सवाल-क्या किसी आईएएस के हत्यारे को अब से पहले कभी छोड़ा गया है।


मुख्य सचिव-आईएएस वाली बात गलत आ रही है, जो नियम था उसमें आईएएस का अलग कैटगरी नहीं था. उसमें लोकसेवक का जिक्र था. लोकसेवक कोई भी हो सकता है. आईएएस अधिकारी का कोई जिक्र कानून में है.मीडिया का सवाल-पहले जेल मैनुअल में प्रावधान था कि लोक सेवक के हत्यारों को नहीं छोड़ना है, उसे क्यों हटा दिया गया।


मुख्य सचिव-ये महसूस किया गया कि आम लोगों की हत्या औऱ लोक सेवक की हत्या में कोई अंतर करना ठीक नहीं है, इसलिए हटाया गया.मीडिया का सवाल-क्या पूरे देश में कोई ऐसा उदाहरण है कि किसी आईएएस के हत्यारे को छोड़ दिया गया, नियम बना कर फिर उसे बदला गया हो और फिर छोड़ दिया गया हो. 


मुख्य सचिव-मैं फिर कह रहा हूं कि आईएएस को लेकर न कोई नियम था और न है. इसलिए आईएएस का हुआ या नहीं हुआ...मीडिया का सवाल-क्या ऐसा उदाहरण है कि किसी आईएएस का मर्डर करने वाले को छोड़ दिया गया


मुख्य सचिव-वो तो आप मीडिया वाले हैं, बेहतर जानेंगे, हमारी जानकारी में नहीं है. हो सकता है कि दूसरे राज्यों में ऐसा प्रतिबंध न रहा हो, प्रतिबंध ही जानकारी में नहीं है। मीडिया का सवाल-जेल मैनुअल में साफ साफ कहा गया है कि कोई भी बंदी को नाश्ता करा कर ही रिहा करना है, आनंद मोहन की रिहाई में इस प्रक्रिया का क्यों नहीं पालन किया गया


मुख्य सचिव-मुझे इसकी जानकारी नहीं है, वहां क्या हुआ है इसकी कोई रिपोर्ट नहीं है. दूसरे पत्रकार की ओर देखते हुए..आप कुछ कह रहे थे. मीडिया का सवाल-आपने कहा कि रिहाई में सारे प्रोसेस को पूरा किया गया. क्या ऐसा भी कोई प्रोसेस है कि रिहाई से पहले पीडित परिवार से पूछा जाये, जैसा कि राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई के लिए क्या गया था.


मुख्य सचिव-जेल डिपार्टमेंट के अंडर में प्रोबेशन ऑफिसर का पद होता है. किसी कैदी की रिहाई के लिए प्रोबेशन ऑफिसर की रिपोर्ट मांगी जाती है. जांच के लिए प्रोबेशन ऑफिसर उस गांव में जाते हैं, जहां का है वह अभियुक्त. वे स्थानीय स्तर पर सामाजिक पूछताछ कर रिपोर्ट देते हैं. उनकी फेबरेबुल रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार रिहाई का फैसला लेती है. इस मामले में भी रिपोर्ट मंगवा कर ही छोड़ा गया है. 


मीडिया का सवाल-बिहार के मुख्यमंत्री ने एक रैली में कहा था कि आनंद मोहन की रिहाई के लिए नियम बदल रहे हैं. कहा जा रहा है कि राजनीतिक लाभ के लिए छोड़ा गया है.मुख्य सचिव-ये एक सामान्य कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया से हुआ है, इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिये. 


मीडिया का सवाल- आप अच्छे आचरण के आधार पर कैदी को छोड़ते हैं. लेकिन 2021 में सहरसा जेल प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करायी है, जिसमें आनंद मोहन के पास चार मोबाइल फोन बरामद हुए थे. वह केस अब भी चल रहा है. क्या ये भी अच्छे आचरण में शुमार है. 


मुख्य सचिव- इस एफआईआर के बारे में मुझे नहीं पता है ओवरऑल रिकार्ड देख कर रिहा गया है, उसमें सारी बातों पर विचार किया गया है.मीडिया का सवाल-क्या रिहाई से पहले पीड़ित परिवार से पूछा गया


मुख्य सचिव-मैंने जेनरल प्रक्रिया बता दी. बाकी हर चीज का स्पेसफिक पता करके मैं नहीं आया हूं. लेकिन मैं यही कहूंगा कि जहां जहां से पूछना और रिपोर्ट लेना आवश्यक था, वह सब करके ही हुआ है. मीडिया का सवाल-जी. कृष्णैया की पत्नी ने आनंद मोहन की रिहाई पर आपत्ति जतायी है। मुख्य सचिव- मैं किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत प्रतिक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. (सवाल टालते हुए)...पीछे से सवाल आ रहा था।


मीडिया का सवाल-सेंट्रल आईएएस एसोसियेशन ने पुनर्विचार करने की मांग की है। मुख्य सचिव-हर व्यक्ति, संगठन को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, लोग अपनी-अपनी राय दे रहे हैं. 


मीडिया का सवाल-क्या आप उस पर विचार करेंगे(आईएएस एसोसियेशन की मांग पर) मुख्य सचिव-नहीं, नहीं...अभी तो एक नियम से काम हुआ है. नियम से काम होने के बाद जो लोग जो कह रहे हैं वह विचार रख रहे हैं. 


मीडिया का सवाल-जिन 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया गया, उसमें एक मृत कैदी का भी नाम था. मुख्य सचिव-हो सकता है उनकी हाल में मृत्यु हुई हो और उसकी सूचना मुख्यालय तक नहीं पहुंची हो. 


मीडिया का सवाल-लेकिन उस कैदी की मौत तो 6 महीने पहले हो गयी थी। मुख्य सचिव-हमलोग इसकी जांच करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ.(बगल में बैठे गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने अपने सीनियर को बताया कि कार्रवाई हो रही है.


मीडिया का सवाल-जेल मैनुअल का उल्लंघन कर आप अहले सुबह आनंद मोहन को छोड़ रहे हैं. मुख्य सचिव- इसकी मुझे जानकारी नहीं, कब छोड़ा है, क्या छोड़ा है, मुझे नहीं पता.