RANCHI: डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की जेल से रिहाई पर देश भर में आईएएस अधिकारियों का आक्रोश सामने आ रहा है. अब झारखंड आईएएस एसोसियेशन ने कहा है कि बिहार सरकार ने बेहद गलत किया है और डीएम हत्याकांड के दोषी को रिहा करने से देश भर में अधिकारियों-कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा. इससे पहले सेंट्रल आईएएस एसोसियेशन और आंध्र प्रदेश आईएएस एसोसियेशन आनंद मोहन की रिहाई पर आक्रोश जता चुका है.
झारखंड आईएएस अधिकारी एसोसियेशन जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को सरकारी नियमों में बदलाव करके रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरा रोष जताया है. एसोसियेशन ने बयान जारी कर कहा है कि जी. कृष्णैया बेहद समर्पित अधिकारी थे और जिन्होंने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया था. सरकार ने अपने ही कानून में परिवर्तन कर उनके सजायाफ्ता हत्यारे की रिहाई कर दी है. ये एक पीड़ित परिवार को न्याय देने से इनकार करने के समान है.
आईएएस एसोसियेशन ने कहा है कि बिहार सरकार के इस तरह के काम से न केवल आईएएस अधिकारियों बल्कि सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. जी. कृष्णैये के हत्यारे की रिहाई का राज्य सरकार का आदेश पूरी तरह गलत है और इसने भविष्य के लिए गलत मिसाल कायम कर दिया है. आईएएस एसोसियेशन ने बिहार सरकार से कहा है कि वह जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.
आंध्र प्रदेश के IAS अधिकारियों ने भी जताया विरोध
बता दें कि आज ही आंध्र प्रदेश आईएएस एसोसियेशन ने गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी स्वर्गीय जी कृष्णैया आईएएस की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. एसोसियेशन ने कहा है कि आंध्र प्रदेश में एक विनम्र परिवार में जन्मे, जी. कृष्णय्या अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर आईएएस अधिकारी बने थे, जिसके बाद उन्हें बिहार कैडर आवंटित किया गया था. एक आईएएस अधिकारी के रूप में जी. कृष्णय्या ने हमेशा गरीबों और दलितों के पक्ष में फैसले लिए. यहां तक कि जिस दिन उनकी बेरहमी से हत्या की गई, उस दिन भी वे अपने बॉडी गार्ड को भीड़ से बचाने की कोशिश कर रहे थे.
एसोसियेशन ने कहा है कि ऐसे उत्कृष्ट अधिकारी के हत्यारे को रिहा करने की राज्य सरकार की कार्रवाई निंदनीय है. सरकार की इस तरह की कार्रवाई से न केवल आईएएस अधिकारियों बल्कि दूसरे सरकारी सेवकों के मनोबल पर भी गलत प्रभाव पड़ेगा. एक IAS अधिकारी देश की ईमानदारी और निष्ठा से सेवा करने के लिए संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेता है. वह सरकार के आदेश के अनुसार कर्तव्यों का पालन करता है. अगर ऐसे अधिकारी पर हमला होता है तो यह संविधान और राज्य को को खुली चुनौती है. यदि ऐसी चुनौती का सही तरीके से सामना नहीं किया गया तो यह संविधान की नींव को नष्ट कर देगा. ऐसे में बिहार सरकार का आदेश गलत है और इसने भविष्य के लिए खतरनाक मिसाल कायम की है.
इससे पहले सेंट्रल आईएएस एसोसियेशन ने भी आनंद मोहन की रिहाई पर कडी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार को कहा था कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे. हालांकि बिहार के मुख्य सचिव ने आईएएस एसोसियेशन की मांग पर विचार करने से इंकार कर दिया है. बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि हर व्यक्ति, संगठन को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, लोग अपनी-अपनी राय दे रहे हैं. सरकार ने नियम के तहत फैसला लिया है. नियम से काम होने के बाद जो लोग जो कुछ कह रहे हैं वह अपना विचार रख रहे हैं. सभी को अपना विचार व्यक्त करने की आजादी है.