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आनंद मोहन अगर कानूनी तरीके से रिहा हुए तो सरकार ने नियम क्यों बदला था? सुशील मोदी ने पूछा-क्या शराब पीना हत्या से भी बड़ा अपराध है?

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Apr 2023 08:24:38 PM IST

आनंद मोहन अगर कानूनी तरीके से रिहा हुए तो सरकार ने नियम क्यों बदला था? सुशील मोदी ने पूछा-क्या शराब पीना हत्या से भी बड़ा अपराध है?

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PATNA:  पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने सवाल पूछा है कि अगर आनंद मोहन सजा पूरी करके कानूनी तरीके से रिहा हुए हैं तो सरकार को जेल मैनुअल में बदलाव क्यों करना पड़ा था. उन्होंने पूछा है कि थोड़ी बहुत शराब पीने वाले कितने बड़े अपराधी हैं कि सरकार उन्हें जेल में बंद कर रही है हत्या के दोषी दुर्दांत अपराधियों को रिहा कर रही है. क्या शराब पीना हत्या से भी बड़ा अपराध है.


सुशील मोदी ने कहा कि बिहार सरकार बार-बार ये कह रही है कि आनंद मोहन कहा कि बिहार सरकार बार-बार ये कह रही है कि आनंद मोहन की सजा पूरी होने के बाद रिहा किया गया. अगर ये सच है तो सरकार को जेल मैनुअल में छेड़छाड़ करने की जरूरत क्या थी. उन्होंने पूछा कि अगर बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव नहीं किया होता तो क्या सरकारी अधिकारी की ड्यूटी के दौरान हत्या के सजायाफ्ता बंदी को रिहा किया जा सकता था? 


नीतीश ने पूरे देश में बिहार को बदनाम किया 

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ये क्यों नहीं बता रही है कि एक सजायफ्ता पूर्व सांसद और उसके बहाने 26 अन्य दुर्दांत अपराधियों को रिहा करने से जनहित का कौन-सा उद्देश्य पूरा हुआ? सुशील मोदी ने कहा कि हत्या जैसे जघन्य अपराध के मामले में सजायाफ्ता बंदियों की सामूहिक रिहाई के लिए जेल कानून को बदला गया, जिससे पूरे देश में बिहार की बदनामी हो रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में थोड़ी-सी शराब पीने वाले  लाखों लोग जेल में डाले गए, जबकि सजायाफ्ता अपराधी आजाद किये जा रहे हैं। 


उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपराधी-माफिया पुलिस के डर से भागते फिर रहे हैं, जबकि यहाँ ऐसे तत्व पुलिस पर हमले कर रहे हैं और उनके आकाओं को जेल से रिहा किया जा रहा है। कानून के राज और जंगलराज का फर्क साफ दिख रहा है. सुशील मोदी ने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों की हत्या के आरोपी को कोई राहत नहीं देने का कानून पहले बदला गया और फिर एक पूर्व सांसद को इसी संशोधित कानून के तहत रिहा कर दिया गया.  


सुशील मोदी ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए कानून से छेड़छाड़ कर नीतीश सरकार ने लोकसेवकों का सुरक्षा कवच छीन लिया. इससे कर्मचारियों-अधिकारियों का मनोबल टूटेगा. उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में बाधा डालने पर गिरफ्तारी और भ्रष्टचार के मामले में वरिष्ठ पदाधिकारी से अनुमति लेने का नियम कार्यपालिका को सुरक्षा देने के लिए है, लेकिन जब ड्यूटी पर तैनात एक डीएम की हत्या के दोषी को भी रिहा कर दिया जाएगा, तब क्या संदेश जाएगा?