PATNA : बिहार विधान परिषद की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में एनडीए का ड्रामा आखिरी वक्त में सुलझ गया है.बीजेपी ने दो में से एक सीट अपनी सहयोगी पार्टी वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी के लिए छोड़ी थी लेकिन सहनी 6 साल वाली पूर्णकालिक सीट लेने पर अड़े थे. उन्होंने बीजेपी के ऑफर को ठुकरा दिया था. रविवार की दोपहर अमित शाह का फोन मुकेश सहनी को आया और उसके बाद मुकेश सहनी ने सोमवार को नामांकन करने का एलान कर दिया.
आखिरी वक्त तक ड्रामा
दरअसल बिहार में विधान परिषद की दो सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं. सुशील मोदी के राज्यसभा और विनोद नारायण झा के विधानसभा जाने के कारण खाली हुई विधान परिषद की दो सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं. बीजेपी ने इनमें से एक सीट पर अपना उम्मीदवार शाहनवाज हुसैन को मैदान में उतारा और दूसरी सीट मुकेश सहनी को देने का फैसला लिया. दरअसल विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी से तालमेल के समय बीजेपी ने वादा किया था कि वीआईपी पार्टी को विधान परिषद की एक सीट दी जायेगी. उसी वादे के तहत मुकेश सहनी को सीट दिया गया.
लेकिन विधान परिषद उपचुनाव की सीटों का कार्यकाल बेहद कम है. एक सीट का कार्यकाल साढ़े तीन साल का है दूसरी का डेढ़ साल का. विधान परिषद के सदस्य का सामान्य कार्यकाल 6 साल का होता है. मुकेश सहनी ने कम कार्यकाल वाले सीट पर विधान परिषद जाने से इंकार कर दिया था. रविवार की सुबह एक वीडियो जारी कर मुकेश सहनी ने कहा कि उन्हें 6 साल का कार्यकाल वाली विधान परिषद की सीट चाहिये. लिहाजा वे उप चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनेंगे.
ये ड्रामा तब हो रहा था जब विधान परिषद के लिए नामांकन का आखिरी समय हो चला था. सोमवार को विधान परिषद के लिए नामांकन का आखिरी दिन है. उससे पहले रविवार को ड्रामा ही चल रहा था. सियासी गलियारे में कई तरह की अटकलें लगायी जा रही थीं.
अमित शाह का फोन
इस बीच रविवार की दोपहर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फोन मुकेश सहनी के पास आया. जानकार बताते हैं कि अमित शाह ने मुकेश सहनी को फिलहाल उप चुनाव में प्रत्याशी बनने को कहा. साथ में ये भरोसा भी दिलाया कि बाद में भी बीजेपी उनका ख्याल रखेगी. अमित शाह के फोन आने के बाद मुकेश सहनी के पास बीजेपी की बात नहीं मानने का कोई रास्ता नहीं बचा था.
रविवार की शाम मुकेश सहनी ने फेसबुक पोस्ट कर ये लिखा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें विधान परिषद उप चुनाव में प्रत्याशी बनाने की सूचना दी है. वे इसके लिए बीजेपी के कृतज्ञ हैं. मुकेश सहनी ने लिखा कि वे सोमवार को नामांकन करने जा रहे हैं.
सहनी के पास कोई विकल्प नहीं था
जानकार बताते हैं कि मुकेश सहनी के पास बीजेपी की बात मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. वे जानते हैं कि उनके चार विधायकों में से तीन बीजेपी के पुराने नेता हैं. अगर बीजेपी से समझौता टूटने की नौबत आयी तो वे विधायक कहां जायेंगे ये जगजाहिर है. लिहाजा मुकेश सहनी बीजेपी पर बहुत ज्यादा दबाव नहीं बना सकते. ऐसे में अमित शाह का फोन आना ही मुकेश सहनी के लिए बड़ी उपलब्धि रही.