अहीर रेजिमेंट के बाद अब आदिवासी रेजिमेंट की उठी मांग, सीएम हेमंत ने कहा - वीरता को नहीं मिल पाई सही पहचान

अहीर रेजिमेंट के बाद अब आदिवासी रेजिमेंट की उठी मांग, सीएम हेमंत ने कहा - वीरता को नहीं मिल पाई सही पहचान

JHARKHAND : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नेतृत्व में कोलकत्ता में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक हो रही है। इस बैठक में उड़ीसा,झारखंड, पश्चिम बंगाल,और बिहार के मुख्यमंत्री को शामिल होना है। हालांकि, इस बैठक में शामिल होने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं गए हैं।  उनके जगह बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी शामिल हुए हैं। वहीं, इस बीच इस बैठक में शामिल हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय मंत्री से बड़ी मांग कर दी। 


हेमंत सोरेन ने कहा कि, भारत का इतिहास आदिवासियों के बलिदान से भरा पड़ा हुआ है। लेकिन, इनकी वीरता को वो पहचान नहीं मिल पाई, जिसके वे हकदार हैं। इसलिए मेरी मांग है कि, रक्षा मंत्रालय देश की सेना में आदिवासी रजिमेंट के गठन का निर्देश दे। इसके साथ ही उन्होंने उग्रवाद प्रभावित और गरीब राज्य में केंद्रीय अर्द्धसैन्य बलों (सीएमपीएफ) की प्रतिनियुक्ति के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार से राशि के भुगतान की मांग नहीं करने का आग्रह किया है। 


इसके आलावा उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री आवास योजना से झारखंड के लगभग 8 लाख 35 हजार परिवार परिवार अभी भी वंचित है। इन सभी को आवास स्वीकृत करने का निर्देश ग्रामीण विकास मंत्रालय को दिया जाए। इसके साथ ही झारखंड राज्य का विभिन्न कोयला कंपनियों सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल पर कुल लाख छत्तीस हजार करोड़ बकाया राशि का शीघ्र भुगतान कराया जाए। इसके आलावा साहेबगंज एअरपोर्ट निर्माण कि भी मांग रखी गई है। वहीं, राज्य में एक रेलवे जोनल मुख्यालय कि भी मांग रखी है। 


बता दें क, इससे पहले भाजपा के आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ ने भी देश के अंदर अहीर रेजिमेंट बनाये जाने कि मांग देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने रखी थी। उन्होंने कहा था कि, देश में यदि अहीर रेजिमेंट बनेगा तो चीन को उसके कारनामों का उचित जवाब मिलेगा। निरहुआ ने रेजान्ग ला के युद्ध का भी जिक्र किया। इसके बाद अब झारखंड के सीएम ने यह मांग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने रखी है। 


गौरतलब हो कि, रेजिमेंट भारतीय सेना में एक ग्रुप होता है। इन्हीं रेजिमेंट के ग्रुपों से मिलकर भारतीय सेना बनती है। भारत में रेजिमेंट सबसे पहले अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बनीं। अंग्रेज अपने शुरुआती समय में समुद्री इलाकों तक ही सीमित थे। इसीलिए उन्होंने सबसे पहले मद्रास रेजिमेंट बनाई। फिर जैसे-जैसे अंग्रेजी शासन का विस्तार होता गया, नई रेजिमेंट बनती गईं।