PATNA : उपेंद्र कुशवाहा जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष तो नहीं बन पाए लेकिन उनके लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी से एक अच्छी खबर जरूर आई। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जेडीयू ने अपने संविधान में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया। फर्स्ट बिहार ने सबसे पहले आपको यह बताया था कि जेडीयू के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष ही संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष हो सकता है। इस खबर के बाद लगातार कुशवाहा को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर सियासत गर्म रही थी। अब जेडीयू ने अपने संविधान में बदलाव किया है।
जनता दल यूनाइटेड के संविधान की धारा 28 में संशोधन किया गया है। कार्यकारिणी ने इस संशोधन पर अपनी मंजूरी दी है। इस संशोधन के बाद अब राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष अलग-अलग व्यक्ति हो सकते हैं। संशोधन के मुताबिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे या किसी अध्यक्ष या सदस्य को इसके लिए मनोनीत करेंगे। इसके साथ ही यह तय हो गया है कि कुशवाहा तकनीकी तौर पर संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बने रहेंगे।
ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ ही यह भी तय हो गया है कि अब लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नए नेता का चयन होगा। ललन सिंह अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं लिहाजा वह संसद में दल के नेता नहीं रहेंगे। सूत्रों की माने तो पिछड़ा या अतिपिछड़ा तबके से आने वाले किसी सांसद को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। चंदेश्वर चंद्रवंशी का नाम लोकसभा में संसदीय दल के नेता के तौर पर सबसे आगे माना जा रहा है।