DESK : कोरोना संकट के इस काल में अब देशभर की अदालतें कई मामलों में पक्षकारों और आरोपियों को एसएमएस, व्हाट्सऐप और टेलीग्राफ के जरिये भी समन-नोटिस भेज सकती है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी है.
समन और नोटिस समय पर तालीम कराने में दिकक्तों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इंस्टेंट टेली मैसेजिंग सेवा को इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. इसकी इजाजत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो ब्लू टिक ये सुनिश्चित करेंगे कि रिसीवर ने नोटिस देख लिया है. हालांकि, यह स्पष्ट किया कि किसी पार्टी को समन और नोटिस के तरीकों के इस्तेमाल पर वैध सेवा साबित करनी होगी.
कोर्ट ने लिमिटेशन से जुड़े स्वत: संज्ञान केस की सुनवाई के दौरान यह व्यवस्था दी. देश में ऐसी सुविधा पहली बार लागू की जा रही है. चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ' कोरोना के चलते नोटिस और समन जैसी सेवाओं के लिए डाकघर जाना संभव नहीं है. ये सेवाएं ईमेल, फैक्स, और Whatsapp-Telegraph के जरिए दी जा सकती है. व्हाट्सएप पर ब्लू टिक लगने को नोटिस की सर्विस माना जाएगा. अगर किसी ने यह फीचर डिसएबल कर रखा है तो कोर्ट तय करेगा कि सर्विस को पूरा माना जाए या नहीं.