अब फ्लाइट से यात्रा करने के दौरान यूज कर सकेंगे इंटरनेट, ऐसे उठा सकते हैं फायदा

अब फ्लाइट से यात्रा करने के दौरान यूज कर सकेंगे इंटरनेट, ऐसे उठा सकते हैं फायदा

DESK: हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए एक अच्छी खबर है. जल्द ही आप फ्लाइट से यात्रा करने के दौरान इंटरनेट का भी यूज कर सकते हैं. इसके लिए सिविल एविएशन मिनिस्ट्री तैयारी में जुट गया है. 

सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के डायरेक्टर जनरल पायलट इन कमांड को विमान यात्रा के दौरान पैसेंजर को इंटरनेट एक्सेस का परमिशन दे सकते हैं. Wi-Fi Onboard सर्विस यात्रियों के लिए एक बड़ी सौगात है. इस सर्विस के माध्यम से यात्री अपने लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैब, स्मार्टवॉच, ई-रीडर और POS डिवाइस को इंटरनेट से कनेक्ट कर सकेंगे. यात्री अपने किसी भी डिवाइस को फ्लाइट मोड में रखते हुए ही इंटरनेट फैसिलिटी को यूज़ कर सकते है. 

बता दें कि कुछ दिनों पहले ही Air Vistara ने इलेक्रॉनिककंपोनेंट और डिवाइस बनाने वाली कंपनी Panasonic के साथ इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवा मुहैया कराने के लिए करार किया है. इसके लिए Vistara को दूरसंचार विभाग से लाइसेंस लेना होगा, ताकी इन-फ्लाइट मेरिटाइम कनेक्टविटीकी मदद से पैसेंजर्स को फ्लाइट के अंदर इंटरनेट की सुविधा मिल सके. अगर ऐसा हो गया तो Air Vistara निजी विमानन कंपनीयों में पहली कंपनी होगी जो यात्रियों को घरेलू फ्लाइट में ऐसी सर्विस देगी. 

फ्लाइट में इंटरनेट सर्विस देने की शुरुआत सबसे पहले 2008 में हुई थी. अमेरिकन एयरलाइंस कंपनी वर्जिन एटलांटिक ने इसकी शुरुआत की थी. इसमें सैटेलाइट इंटरनेट की मदद से 3Mbps तक कीइंटरनेट स्पीड मिलती थी. बाद में अमेरिका और जर्मनी की कई एयरलाइंस कंपनियों ने अपने यात्रियों को ये सुविधा दे कर आकर्षित करने की कोशिश की.

फ्लाइट में इंटरनेट सेवा देने के लिए एयर-टू-ग्राउंड (ATG) तकनीक का इस्तेमाल कर सैटेलाइट्स सिग्नल को जमीन पर बने रिसीवर्स (मोबाइल टॉवर्स) में भेजा जाता है. बाद में एयरलाइंस में बने एंटिना की मदद से फ्लाइट में इंटरनेट सिग्नल को एक्सेस किया जा सकता है. पर ये सुविधा यात्रियों को तभी तक मिल सकेगी जब तक उनका विमान जमीन के ऊपर उड़ रहा होगा, जैसे ही विमान समुद्र के ऊपर से गुजरेगा कनेक्टिविटी नहीं रहेगी. 

इस डायरेक्ट ट्रांसमिशन को क्यू बैंड के जरिएसैटेलाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी सर्विस प्रोवाइड कराना महंगा है. सिग्नल रिसीव करने के लिए एयरलाइंस को सर्वर इंस्टाल करना होगा जो एंटिना और डाटा राउटर्स के जरिए सैटेलाइट सिग्नल को डाटा पैकेट्स में बदल देगा. सर्वर इंस्टाल करने में एयरलाइंस को खर्च पड़ेगा इस वजह से ये सुविधा और महंगी हो जाती है.