PATNA : बिहार के थानों में तैनात ASI, दरोगा औऱ इंस्पेक्टर जैसे अधिकारियों द्वारा अपने अधिकारियों को गलत जानकारी देने की शिकायत आम है. गश्ती गाडी थाने में लगी रहती है लेकिन उपर खबर दे दी जाती है कि रोड पर सघन चेकिंग कर रहे हैं. कई दफे तो घर में सोये दरोगा जी छापेमारी में होने की गलत जानकारी दे देते हैं. लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर पायेंगे. बिहार के पुलिस मुख्यालय ने उनकी निगरानी का पुख्ता इंतजाम कर लिया है. अब गलत जानकारी दी तो नप जायेंगे.
जीपीएस से पुलिस की निगरानी का काम लगभग पूरा
दरअसल बिहार पुलिस मुख्यालय ने अपने थानों की गाडियों की जीपीएस से निगरानी का बंदोबस्त पूरा कर लिया है. ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से अब पुलिस मुख्यालय से लेकर जिले के आलाधिकारियों को हर वक्त ये पता होगा कि किस थाने की कौन सी गाडी कहां है. उनके मूवमेंट पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम भी तैयार कर लिया गया है.
90 फीसदी से ज्यादा गाडियों में लगा GPS
बिहार पुलिस मुख्यालय ने बताया कि सूबे में एक हजार से ज्यादा पुलिस थाने हैं जिनके पास 2 हजार 549 गाडियां हैं. अप्रैल महीने के अंत तक इनमें से 2380 गाड़ियों में जीपीएस लगाया जा चुका है. बाकी बची गाडियों पर भी जीपीएस लगाने का काम चल रहा है. पुलिस की हर गाड़ी पर जीपीएस लगना तय है. अब इन गाडियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम भी तैयार कर लिया गया है. इसी कंट्रोल रूम से पूरे बिहार की गाडियों पर नजर रखी जायेगी. यानि पुलिस मुख्यालय के कंट्रोल रूम को ये पता होगा कि कौन गाडी थाने में खड़ी है. किस गाडी ने कितने देर तक कहां-कहां गश्ती की.
पुलिस मुख्यालय ने बताया कि जिन गाडियों पर अब तक जीपीएस नहीं लगा है उनमें सबसे ज्यादा पटना की 105 गाड़ी है. इसके अलावा सीतामढ़ी पुलिस की 17 गाड़ियां, नालंदा और बेतिया पुलिस की 8-8 गाडियां औऱ भागलपुर पुलिस की 6 गाडियां अब तक जीपीएस के बिना चल रही हैं. बिहार पुलिस ने जिस एजेंसी को इन गाडियों पर जीपीएस लगाने का ठेका दिया है उसे जल्द से जल्द बाकी बची गाडियों में भी काम पूरा कर लेने को कहा गया है. बिहार पुलिस की अब सिर्फ 169 गाडियां ऐसी बची है जिनमें जीपीएस नहीं लग सका है.
अपराधियों को पकडने में भी मिलेगी मदद
पुलिस मुख्यालय के मुताबिक जीपीएस लगी गाडियों से अपराध को रोकने औऱ अपराधियों की गिरफ्तारी में भी मदद मिलेगी. पुलिस को जैसे ही किसी घटना की खबर मिलेगी वैसे ही देखा जायेगा कि आस पास में कौन सी गश्ती गाडी खडी है. उनका लोकेशन ट्रैक कर तत्काल घटनास्थल पर भेज जायेगा. कई दफे पुलिस को अपराधी के ठिकाने की जानकारी मिलती है. लेकिन शुरू में अगर कम संख्या में पुलिस बल पहुंचा तो अपराधी को भागने का मौका मिल जाता है. अब अपराधियों की घेराबंदी के तत्काल आसपास की गश्ती गाडी को वहां भेजा जा सकता है.