PATNA : लड़कियों की स्वास्थ्य और उनके अधिकारों की तरफ देखते हुए सरकार जल्द ही एक बड़ा कदम उठा सकती है. ऐसा इसलिए माना जा रहा है. क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज पेश किए आम बजट में लड़कियों के विवाह की उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर एक बड़ा एलान किया. सीतारमण ने एलान किया कि सरकार लड़कियों के विवाह और मातृत्व की उम्र सीमा की समीक्षा करेगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विषय को लेकर अपने बजट भाषण में एक टॉस्क फोर्स के गठन का एलान किया. टॉस्क फोर्स को अपने गठन के 6 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी होगी. अगर सरकार यह फैसला लेती है. तो यह लड़कियों के विवाह की उम्र सीमा को लेकर पिछले 40 दशक में बड़ा बदलाव होगा. इससे पहले साल 1978 में लड़की की शादी की उम्र सीमा 15 से बढ़ाकर 18 कर दी गई थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक़ ऐसा क़दम सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण को ध्यान में रखते हुए उठाने की योजना है. वित्त मंत्री ने इसी संदर्भ में इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने की बात कही. सरकार के मुताबिक़ 2016 में भारत में मातृ मृत्यु दर का आंकड़ा 122 मौत प्रति 1 लाख महिला था. भारत में महिलाओं के विवाह की उम्र सीमा पहली बार 1929 में अंग्रेज़ी शासन काल के दौरान शारदा एक्ट के माध्यम से हुआ था. तब लड़कियों के विवाह की उम्र सीमा 14 जबकि पुरुषों की सीमा 18 साल रखी गई थी. हालांकि पहले 1940 और फिर बाद में 1978 में शारदा एक्ट में बदलाव किया गया. 1978 में विवाह की उम्र सीमा महिलाओं के लिए 18 जबकि पुरुषों के लिए 21 तय की गई जो आजतक लागू है.