BHOPAL : मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बना ली है. मध्य प्रदेश बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना, जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद कोरोना के फेरे में फंसी बीजेपी ने आज फिर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया. आज ही रात को नौ बजे शिवराज सिंह चौहान चौथी दफे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. मध्य प्रदेश में अब तक कोई भी नेता चार दफे मुख्यमंत्री नहीं बना था.
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बीजेपी विधायकों की बैठक
इस बीच आज शाम भोपाल में बीजेपी विधायकों की बैठक हुई. बैठक में कुछ ही विधायक मौजूद थे. बाकी के विधायक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक से जुड़े थे. दिल्ली से बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षक और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह के साथ मध्य प्रदेश के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जुड़े थे. बैठक में शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने की औपचारिकता निभायी गयी. पार्टी ने कल ही तय कर लिया था कि शिवराज ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर नरोत्तम मिश्रा जैसे कई नेताओं के मुख्यमंत्री पद का दावेदार होने की चर्चा आम थी.
रात के अंधेरे में शपथ ग्रहण
मध्य प्रदेश के राजभवन के सूत्रों के मुताबिक रात के नौ बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा. शपथ ग्रहण में राजभवन के चुनिंदा अधिकारी-कर्मचारी के अलावा राज्यपाल और शपथ लेने वाले नेता ही मौजू रहेंगे. शिवराज के साथ मिनी कैबिनेट भी शपथ ले सकती है. कैबिनेट का पूर्ण विस्तार कोरोना का खतरा टलने के बाद किया जा सकता है.
चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे शिवराज
शिवराज सिंह चौहान चौथीं बार मध्य प्रदेश की कमान संभालेंगे. पहली बार वह 29 नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद वह 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार सीएम बने. 8 दिसंबर 2013 को शिवराज ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी.
शिवराज ने बनाया रिकार्ड
मध्यप्रदेश के इतिहास में पहला मौका होगा जब कोई नेता चौथी दफे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा. इससे पहले शिवराज के अलावा अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार मध्य प्रदेश के सीएम रह चुके हैं. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिवराज से फोन पर बात कर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की जानकारी दे दी थी. लेकिन जनता कर्फ्यू के कारण कल बीजेपी विधायकों की बैठक नहीं हो पायी थी.
गिर गयी थी कमलनाथ सरकार
हाल में ही मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार की विदाई हुई है. फिलहाल कमलनाथ कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण वे इस्तीफा दे चुके हैं. कमलनाथ को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से बगावत के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था जिनमें 6 मंत्री शामिल थे. लगातार चले पॉलिटिकल ड्रामे में मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्रियों का तो इस्तीफा कबूल कर लिया था, लेकिन 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था. विधायकों के विद्रोह के कारण कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी, लेकिन कमलनाथ फ्लोर टेस्ट कराने से बचते रहे. उन्होंने फ्लोर टेस्ट कराने की बजाए सदन को स्थगित कर दिया गया था.
SC ने दिया था फ्लोर टेस्ट का आदेश
राज्यपाल ने कमलनाथ को दो दफे विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा लेकिन कमलनाथ राजी नहीं हुए. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गये. सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्पीकर ने सभी 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर किया और फ्लोर टेस्ट कराने के बजाय कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.