BEGUSARAI: पांच साल पहले एक युवती की हत्या कर दी गयी थी। लेकिन घटना के 5 साल बाद भी एफआईआर पुलिस ने दर्ज नहीं किया। जबकि पीड़ित परिवार केस दर्ज कराने के लिए थाने में भटकता रहा। आज इस मामले में बेगूसराय कोर्ट में सुनवाई की गयी। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शबा आलम ने परिवाद पत्र 1737 /2019 की सुनवाई करते हुए परिवाद पत्र के आलोक में प्राथमिकी दर्ज होने तक मुफ्फसिल मुफ्फसिल थाने के थानाअध्यक्ष का वेतन रोकने का आदेश दिया है।
बता दें कि मुफ्फसिल थाना के भैरवार निवासी आशा देवी की बेटी की हत्या 5 साल पहले कर दी गयी थी उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराने की पूरी कोशिश की लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हो सका जिसके बाद अपनी बेटी की हत्यारों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने एक परिवाद पत्र बेगूसराय कोर्ट में दाखिल कर दिया। आशा देवी ने अपने परिवाद पत्र में यह आरोप लगाया कि सितंबर 2019 में उसकी पुत्री सुमन कुमारी की हत्या लखीसराय जिले के मेदनी चौकी थाना निवासी मुकेश पोद्दार, विजय पोद्दार, किरण देवी, खुशबू कुमारी, करिश्मा कुमारी और दिव्य प्रकाश उर्फ चंदन ने कर दी।
थाने में केस दर्ज नहीं होने पर हत्या के इस मामले को लेकर आशा देवी के कोर्ट में परिवाद पत्र दायर किया। जिस पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने 11 सितंबर 2019 को मुफ्फसिल थानेदार को आदेश दिया कि परिवाद पत्र के आलोक में प्राथमिकी दर्ज किया जाए। आशा देवी के अधिवक्ता अमित कुमार ने आज न्यायालय को बताया कि इन पांच वर्षों में कोर्ट प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मुफस्सिल थाना को कई बार निर्देश दे चुकी है। थानेदार को कोर्ट में उपस्थित होने का भी निर्देश दे चुकी है। लेकिन आज तक ना तो थानेदार ने प्राथमिकी दर्ज की और ना ही कोर्ट में पेश हुए यहां तक की स्पष्टीकरण तक नहीं दिया। आज न्यायालय ने सख्त रूप अपनाते हुए मुफ्फसिल थानाध्यक्ष का वेतन रोकने का आदेश दे दिया।