PATNA : सदन में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकारी की लंबी चौड़ी उपलब्धियां गिना दीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जब बिहार सरकार ने हलफनामा दाखिल किया तो इन आंकड़ों की पोल खुल गई.
स्वास्थ्य विभाग के 50 फीसदी पद खाली
बिहार सरकार के हलफनामे के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के सभी स्तरों पर 50 फीसदी पद खाली हैं. स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने में कितनी एक्टिव है इस बात का पता इससे चलता है कि डॉक्टरों के 47 फीसदी पद पर विभाग नियुक्ति ही नहीं कर पाया है.
इस मामले में पिछली सुनवाई 24 जून को हुई थी। बता दें कि बिहार में एईएस से 180 से अधिक बच्चों की मौत हो गई है। इसमें केवल मुजफ्फरपुर में ही 136 बच्चों की मौत हुई है. बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री समेत बिहार के मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरपुर का जायजा लिया.
सुप्रीम कोर्ट सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने चमकी बुखार से बच्चों की हुई मौत को गंभीरता से लिया और बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार को सात दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा था. इस मामले में पिछली बार 24 जून को सुनवाई हुई थी. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता से संबंधित सुविधाओं का सीलबंद लिफाफे में पूरा विवरण मांगा था.