28 मई को संसद के नए भवन का PM मोदी करेंगे उद्घाटन, बोले ऋतुराज..सारे मतभेद को भुलाकर इस ऐतिहासिक दिन को लोकतंत्र के उत्सव के रूप में मनाएं

28 मई को संसद के नए भवन का PM मोदी करेंगे उद्घाटन, बोले ऋतुराज..सारे मतभेद को भुलाकर इस ऐतिहासिक दिन को लोकतंत्र के उत्सव के रूप में मनाएं

PATNA: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। संसद का उद्घाटन दोपहर 12 बजे होगा लेकिन इससे पहले सुबह 7 बजे से हवन पूजन का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। इस बात की जानकारी देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय  मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि देश की 140 करोड़ जनता इस ऐतिहासिक दिन का इंतजार दो साल से कर रहे थे। उन्होंने विपक्ष के साथियों से कहा कि सारे मतभेद भुलाकर इस ऐतिहासिक दिन को लोकतंत्र के उत्सव के रूप में मनाएं।


उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा और वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों से परिपूर्ण, हमारे देश के लोकतंत्र का नया मंदिर कई मामलों में पुराने संसद भवन की आधारभूत समस्याओं का निदान करता है। भारतीयों द्वारा भारतीयों के लिए बनाया गया हमारा नया संसद भवन स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीक, बेहतर अग्निशमन सुविधाएं, और ज्यादा लोगों के बैठने की क्षमता से लैस है। और जो पुराने संसद भवन में जल रिसाव की समस्या थी, उसका भी निदान नए संसद भवन में किया गया है।


उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद है, की जिस ऐतिहासिक क्षण को हमें अपने सारे मतभेद भुलाकर सिर्फ लोकतंत्र के उत्सव के रूप में मनाना चाहिए था, उसपर भी कुछ विपक्षी पार्टियां स्वार्थ और पूर्वाग्रह की राजनीति कर रहीं हैं। विरोधाभास एक स्वस्थ लोकतंत्र का अभिन्न अंग है, पर जब कोई निहित स्वार्थ के लिए एक राष्ट्रीय चिह्न और प्रधानमंत्री के अपमान पर उतर आए, तो यह सिर्फ राजनीतिक कुंठा की निशानी है। 


ऋतुराज ने कहा कि आज दुनिया देख रही है कि कैसे भारत एक-एक करके ब्रिटिश साम्राज्यवाद की निशानियों को त्याग कर आत्मनिर्भरता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। दुनिया यह भी देख रही है कि कैसे कुछ गुट 75 वर्ष बाद भी लुटियंस का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं, और अमृतकाल की हर उपलब्धि को अपनी विषपूर्ण विचारधारा से कलुषित कर रहे हैं।


बहरहाल, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर अपना दो टूक दे ही दिया। जिस आर्टिकल 79 को हथियार बनाकर, "बॉयकॉट गैंग" प्रधानमंत्रीजी को निशाना बना रहा था, उसका संसद के उद्घाटन से कोई रिश्ता नहीं है यह बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस हास्यास्पद अर्जी को सिरे से खारिज कर दिया। भारत की जनता तो पहले ही इन विध्वंसकारक विचारधाराओं को खारिज कर चुकी है, चाहे वो चुनाव में हो या, शोर गुल से ऊपर उठकर, लोकतंत्र के नए मंदिर का अभिभूषण करने में।