वैदिक पंचांग के अनुसार, 22 दिसंबर 2024 को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। श्रद्धालु मनचाही कामना की पूर्ति के लिए व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की कृपा से भौतिक सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर आयुष्मान योग और सौभाग्य योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ संयोगों में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधकों की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त, योग, नक्षत्र और अन्य विवरण:
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 दिसंबर को दोपहर 02:31 मिनट
अष्टमी तिथि समापन: 23 दिसंबर को शाम 05:07 मिनट
पूजा का विशेष समय: रात्रि के निशिता मुहूर्त में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।
योग और उनकी महत्ता
त्रिपुष्कर योग:
प्रारंभ: 22 दिसंबर, सुबह 07:31 मिनट
समापन: दोपहर 02:31 मिनट
महत्ता: इस योग में किए गए कार्यों का तीन गुना फल प्राप्त होता है। पूजा और शुभ कार्यों के लिए यह अत्यंत मंगलकारी है।
आयुष्मान योग:
समय: 22 दिसंबर को शाम 07:00 बजे तक
महत्ता: इस योग में पूजा करने से आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
सौभाग्य योग:
प्रारंभ: 22 दिसंबर को शाम 07:00 बजे के बाद
महत्ता: यह योग सौभाग्य, सुख और समृद्धि प्रदान करने वाला है।
नक्षत्र एवं करण
नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
करण: बव और बालव
महत्ता: इन संयोगों में भगवान कृष्ण की उपासना से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पंचांग विवरण
सूर्योदय: सुबह 07:10 मिनट
सूर्यास्त: शाम 05:30 मिनट
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:21 मिनट से 06:16 मिनट
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:03 मिनट से 03:44 मिनट
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:27 मिनट से 05:44 मिनट
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:53 मिनट से 12:48 मिनट
पूजा विधि
प्रातः काल स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की मूर्ति या तस्वीर को पूजास्थल पर स्थापित करें।
भगवान कृष्ण को दूध, दही, माखन, तुलसी पत्ते और मिष्ठान का भोग लगाएं।
धूप, दीप, चंदन और पुष्प अर्पित करें।
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जप करें।
मध्य रात्रि के निशिता मुहूर्त में विशेष आरती करें और भगवान कृष्ण की स्तुति करें।
महत्व
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत और पूजा करने से साधक पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है। त्रिपुष्कर, आयुष्मान और सौभाग्य योग में की गई पूजा जीवन के सभी दुखों और संकटों का निवारण करती है। इस दिन श्रद्धा भाव से व्रत रखें और भगवान कृष्ण की उपासना करें, जिससे सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति हो।