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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 30 Oct 2023 10:33:56 AM IST
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PATNA : भारत का कोई न कोई राज्य हमेशा चुनावी माहौल से बंधा होता है। इस बीच बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी जदयू का आज 20वां स्थापना दिवस है। ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। इसके कई सारे वजह है। इसमें एक वजह जदयू की कमजोर होती हालत और आपराधिक रिकॉर्ड के मामले में बिहार गिनती देश के चुनिंदा राज्यों में होना भी है।
दरअसल, राज्य में हाल -फिलहाल की कुछ घटनाएं हैं, जिनसे बिहार में नीतीश कुमार के सुशासन के दावे की पोल खुलती नजर आती है। हर साल जहरीली शराब से लोगों के मरने की खबर की वजह से बिहार की चर्चा देशभर में होते ही रहती है। अब बालू माफियाओं का आतंक भी सुर्खियों में बना रहता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट को मानें तो 2021 में जो अपराध का आंकड़ा रहा है, उसमें कानून व्यवस्था के मामले में बिहार की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है।
इस रिपोर्ट के अनुसार 2021 में उत्तर प्रदेश के बाद हत्या के सबसे ज्यादा मामला बिहार में हुआ था।यहां हत्या करने का प्रयास के मामले में पश्चिम बंगाल के बाद बिहार दूसरे नंबर पर था। किडनैपिंग और ऐब्डक्शन के मामले में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद बिहार का नंबर था। इसके आलावा आर्थिक और सामाजिक विकास के अलग-अलग मापदंडों पर भी बिहार की स्थिति देश में काफी खराब है।
इसके साथ ही नीतीश 17 से ज्यादा साल से बिहार की राजनीति के सिरमौर बने हुए हैं। लेकिन इसके बाद भी इन 17 साल में उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) की स्थिति बेहतर नहीं हुई है, बल्कि कमजोर ही हुई है। उसके बावजूद बिहार की सत्ता और नीतीश एक-दूसरे के पर्याय बने हुए हैं।लेकिन इन 17 सालों में बिहार से वो सारे टैग हट नहीं पाए, जिनकी उम्मीद प्रदेश की जनता ने लालू राज के खत्म होने के बाद नीतीश से की थी या फिर जिन उम्मीदों के भरोसे लालू राज से सत्ता छीनकर बिहार की जनता ने नीतीश को सौंपा था, उन उम्मीदों पर क अभीत नीतीश खरा नहीं उतरे है।
मई 2014 से फरवरी 2015 के बीच के 9 महीने को छोड़ दें तो जेडीयू नेता नीतीश कुमार 24 नवंबर 2005 से लगातार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। हालांकि,बीच का जो 9 महीने का हिस्सा है, उस वक्त भी उनकी ही पार्टी सत्ता में थी। इस लिहाज से नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर 17 साल से ज्यादा वक्त से काबिज हैं। इसके बाद भी 2010 में जाकर विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को अब तक की सबसे बड़ी जीत मिली। हालांकि उसके बाद से नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू लगातार कमजोर होती गई है। ये बाकी के दो विधानसभा चुनाव के नतीजों से भी पता चलता है।
उधर, एक और वजह है जिसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चर्चा भी देशभर में हो रही है। इसके पीछे एक बहुत ही ख़ास कारण है। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों का एक मजबूत गठबंधन बनाने में नीतीश कुमार ने पिछले कई महीने झोंक दिए। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी गठबंधन को एक साथ करने में पूरी ताकत लगा दी है । उनकी मेहनत को देखकर कुछ लोगों ने ये तक कहना शुरू कर दिया कि नीतीश के अब बिहार का प्रशासन प्राथमिकता नहीं रह गया है। इस कारण से पिछले कुछ महीनों से नीतीश की चर्चा दिल्ली में खूब हुई।