Bihar election: कमजोर वर्ग के वोटरों की सुरक्षा को लेकर डीजीपी ने कसी कमर,कहा - दागियों-दबंगों पर होगी सख्त कार्रवाई Bihar election: बिहार चुनाव 2025: पहले चरण के मतदान से पहले पीएम नरेंद्र मोदी 2 नवंबर को पटना में करेंगे रोड शो Chhath Puja 2025: लोक आस्था का महापर्व छठ का दूसरा दिन, उपेन्द्र कुशवाहा की पत्नी ने किया खरना पूजा, छठी मईया से बिहार की तरक्की की कामना Chhath puja 2025: लगातार दूसरे दिन अजय सिंह ने छठ व्रतियों के बीच किया पूजन सामग्री का वितरण Bihar Election 2025 : जदयू विधायक दामोदर रावत का ग्रामीणों से विरोध, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल; जानिए क्या है पूरा मामला Chhath puja : पीएम मोदी ने मन की बात में दी छठ महापर्व की शुभकामनाएं, कहा - घर घर बन रहे ठेकुआ, सज रहे घाट Bihar Election 2025 : बीयर लेकर बिहार आए यूपी के पूर्व विधायक धनंजय कन्नौजिया गिरफ्तार, बीजेपी चुनाव प्रचार मामला, कोर्ट ने भेजा जेल Bihar BJP leader : पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद डॉ. संजय जयसवाल से 10 करोड़ की रंगदारी, बेटे को जान से मारने की धमकी central government employees: केंद्रीय कर्मचारियों की ग्रेच्युटी सीमा बढ़ी, इन लोगों पर नहीं लागू होंगे नियम “अक्षरा सिंह ने खेसारी लाल यादव पर बोला हमला, कहा - वो तो खुलेमाम मेरा ...,ज्योति सिंह को दिया खुला समर्थन”
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 27 Sep 2025 02:23:30 PM IST
पीएस मोदी का इलाज - फ़ोटो GOOGLE
Narendra Modi Medical Test: देश के प्रधानमंत्री का स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि राष्ट्रीय महत्व का विषय माना जाता है। यही वजह है कि उनके हेल्थ चेकअप पर अक्सर लोगों की नजर रहती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेडिकल जांच एक निश्चित अंतराल पर होती है और इसे बेहद गोपनीय लेकिन व्यवस्थित तरीके से अंजाम दिया जाता है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बल्कि देश के सुचारू संचालन और नीतिगत निरंतरता के लिए भी आवश्यक है।
इंडिया टुडे और इकोनॉमिक टाइम्स जैसी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर तीन महीने में एक बार यानी तिमाही आधार पर रूटीन मेडिकल चेकअप कराते हैं। यह जांच अक्सर दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) या किसी अन्य अधिकृत अस्पताल में होती है। इसमें सामान्य ब्लड टेस्ट, ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल, कार्डियक जांच और अन्य बेसिक स्वास्थ्य पैरामीटर शामिल होते हैं।
प्रधानमंत्री का शेड्यूल बेहद व्यस्त होता है। विदेश यात्राएं, देश में लगातार कार्यक्रम और लंबी मीटिंग्स के कारण उनकी सेहत की नियमित जांच बेहद जरूरी मानी जाती है। डॉक्टर इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनकी थकान, डाइट और रूटीन का असर शरीर पर नकारात्मक रूप से न पड़े। यही कारण है कि डॉक्टरों की टीम उनकी नींद, स्ट्रेस लेवल और इम्युनिटी पर भी खास निगरानी रखती है।
रूटीन चेकअप के अलावा प्रधानमंत्री साल में एक बार कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ चेकअप कराते हैं। इसमें हार्ट, लंग्स, किडनी, लिवर समेत शरीर के सभी अहम अंगों की डिटेल जांच की जाती है। यह प्रैक्टिस वैश्विक स्तर पर वर्ल्ड लीडर्स के स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का हिस्सा होती है। अमेरिका के राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के लिए भी इसी तरह की सालाना जांच अनिवार्य मानी जाती है।
डॉक्टरों की एक विशेष टीम हर समय प्रधानमंत्री के साथ रहती है। किसी भी असुविधा या लक्षण दिखाई देने पर तत्काल मेडिकल जांच की जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम के साथ हर यात्रा में बेसिक मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद रहता है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत जांच की जा सके। इसमें मोबाइल मेडिकल यूनिट और इमरजेंसी उपकरण हमेशा तैयार रहते हैं।
चेकअप के दौरान डॉक्टर केवल टेस्ट ही नहीं करते बल्कि पीएम की डाइट और फिटनेस पर भी सलाह देते हैं। नरेंद्र मोदी योग और नियमित व्यायाम के लिए जाने जाते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी डाइट काफी संतुलित है और इसमें लो कैलोरी और पौष्टिक भोजन शामिल होता है। डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि डाइट और दिनचर्या उनकी उम्र और कार्यभार के हिसाब से सही बनी रहे। इसके अलावा पीएम की फिटनेस रूटीन में प्राणायाम, मेडिटेशन और हल्के व्यायाम भी शामिल होते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता बनी रहे।
प्रधानमंत्री की स्वास्थ्य जांच को लेकर काफी गोपनीयता बरती जाती है. मीडिया को केवल उतनी ही जानकारी दी जाती है जितनी सार्वजनिक की जा सकती है। असल जांच और रिपोर्टिंग का विवरण केवल डॉक्टरों की टीम और सुरक्षा एजेंसियों तक सीमित रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्तर की गोपनीयता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद जरूरी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नियमित स्वास्थ्य जांच हर तीन महीने में होती है। इसके अलावा सालाना कंप्रीहेंसिव चेकअप और आवश्यकता पड़ने पर तात्कालिक जांच की व्यवस्था भी रहती है। यह प्रोटोकॉल न केवल उनकी सेहत बल्कि उनके पद की जिम्मेदारी को देखते हुए अनिवार्य माना जाता है।