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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 13 Apr 2025 02:44:02 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google
Parenting tips : आज के इस फ़ास्ट जीवन में पेरेंट्स होना आसान नहीं होता। बच्चों के व्यवहार को संभालना कई बार बेहद चुनौतीपूर्ण और तनाव से भरा होता है, खासकर तब जब समय की कमी हो ,जैसे सुबह की जल्दी या ऑफिस के दबाव के दौरान। ऐसे हालात में बहुत से माता-पिता गुस्से में चिल्ला उठते हैं या कभी-कभी बच्चों के साथ गुस्से में आकर उन्हें पीट देते हैं | एक रिपोर्ट के अनुसार, 82% माता-पिता तनाव में बच्चों पर चिल्लाते हैं या मारते हैं, जबकि 66% माता-पिता सार्वजनिक जगहों पर बच्चों का गलत व्यवहार तो नोटिस करते हैं लेकिन घर में उसे इग्नोर कर देते हैं |
ऐसे समय में कई बार माता-पिता खुद को असहाय महसूस करते हैं, मानो कोई तरीका काम ही नहीं कर रहा हो। लेकिन अगर हम बच्चों के व्यवहार की जड़ तक जाएं, तो समाधान मिल सकते हैं।विशेषज्ञों की माने तो बच्चों की आदत कई कारणों से प्रभावित होता है। कुछ व्यवहार जैसे झुंझलाहट, गुस्सा या ध्यान खींचने की कोशिश, बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्ति का हिस्सा होते हैं। बच्चे अपने आस-पास के लोगों को देखकर भी बहुत कुछ सीखते हैं। छोटे बच्चे अक्सर खुद को केंद्र मानते हैं और जो उन्हें अच्छा लगता है, वही करने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, घर का वातावरण, अव्यवस्थित दिनचर्या या अस्थिर माहौल भी बच्चों को तनाव में डालता है, जिससे उनका व्यवहार बिगड़ सकता है।
बच्चों के व्यवहार को सही तरीके से डील करने के लिए माता-पिता तीन तरह की रणनीतियों का उपयोग कर सकते हैं: प्रोऐक्टिव (पहले से तैयारी), इन-द-मोमेंट (उस समय) और रिफ्लेक्टिव (बाद में समझाना)।
प्रोऐक्टिव रणनीति (पहले से तैयारी करना)
बच्चों के व्यवहार को बिगड़ने से पहले ही रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चों से साफ-साफ और स्पष्ट रूप से बात करें, और उनका वातावरण ऐसा रखें कि तनाव कम हो।
इन-द-मोमेंट रणनीति (जब बच्चा गलत व्यवहार करे)
इस समय सबसे जरूरी है कि माता-पिता खुद शांत रहें। अगर बच्चा बार-बार ध्यान खींचने के लिए कपड़े खींचता है, तो ऐसे व्यवहार को नजरअंदाज किया जा सकता है।
तर्कसंगत(logical) परिणाम बताएं: जैसे अगर बच्चा खिलौना तोड़ता है, तो उसे नया ना लाकर वही टूटा खिलौना देना – ताकि वह समझ सके कि उसके काम का नतीजा क्या होता है।
करीब जाकर समझाएं: जब बच्चा नाराज़ हो, ऐसे में उसके पास जाकर, शांत तरीके से बात करें क्योंकि इससे बच्चे सुरक्षित महसूस करते है।
आप चिल्लाएंगे वो भी चिल्लाएगा: अगर आप गुस्से में चिल्लाते हैं, तो बच्चा भी वैसा ही करेगा। शांत रहकर जवाब देना बेहतर होता है।
गले लगाएं और बच्चों को समझाएं: बच्चा जब शांत हो जाए, तो उसे प्यार से समझाएं कि उसका व्यवहार गलत क्यों था।
बातचीत कर समाधान निकालें: बाद में परिवार के साथ बैठकर उस घटना पर चर्चा करें और बड़े बच्चों से समाधान पूछें।
मित्र नहीं, मार्गदर्शक बनें: हमेशा बच्चों के लिए गाइड बनें, दोस्त नहीं। स्पष्ट नियम और व्यवहार से बच्चे सीखते हैं।
रिफ्लेक्टिव रणनीति यानि (बाद में सिखाना)
जब आपका बच्चा बिल्कुल शांत हो जाए, तो उस घटना पर बातचीत करना जरूरी है। उसे बताएं कि क्या गलत हुआ, क्यों गलत था, और आगे कैसे उचित व्यवहार करना चाहिए। बच्चों को सजा(punishment) या इनाम(Rewards) के बिना भी अनुशासित किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता गुस्से में रिएक्ट करने के बजाय समझदारी से प्रतिक्रिया दें। प्रोऐक्टिव सोच, समय पर बच्चों को मार्गदर्शन के साथ साथ प्यार से समझाना, ये तीन तरीके बच्चों को एक बेहतर इंसान बना और जीवन में हमेशा काम आ सकते हैं।