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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 16 Oct 2025 01:41:06 PM IST
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Green Crackers: दिवाली का त्योहार रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ ही पटाखों का शोर और प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है। हर साल की तरह इस बार भी प्रशासन ने पटाखों को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विशेष रूप से “ग्रीन पटाखों” (Green Crackers) पर जोर दिया जा रहा है, जिन्हें सामान्य पटाखों की तुलना में पर्यावरण के लिए कम हानिकारक बताया जाता है। ये पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं होते, बल्कि केवल प्रदूषण के स्तर को कुछ हद तक कम करते हैं।
ग्रीन पटाखे (Green Crackers) पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम धुआं और हानिकारक गैसें छोड़ते हैं। इनमें बेरियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और एल्युमिनियम जैसे खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल सीमित मात्रा में किया जाता है। साथ ही इनसे निकलने वाली गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड का स्तर भी कम होता है। यही कारण है कि इन्हें सामान्य पटाखों की तुलना में अपेक्षाकृत “पर्यावरण अनुकूल” कहा जाता है।
इन ग्रीन पटाखों की एक खासियत यह भी है कि ये सामान्य पटाखों की तरह बहुत तेज आवाज़ नहीं करते। इनसे हानिकारक धुएं की बजाय हल्की सुगंध निकलती है, जिससे आस-पास के वातावरण में जहरीले तत्वों की मात्रा कम होती है। लेकिन पॉल्यूशन को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता ये पटाखे केवल उसका स्तर घटाने में मदद करते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली पर ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण दोनों को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और एलर्जी जैसी समस्याएं कम होती हैं। हालांकि, यह भी ध्यान देना जरूरी है कि “ग्रीन पटाखे” पूरी तरह हानिरहित नहीं हैं ये सिर्फ एक वैकल्पिक और अपेक्षाकृत सुरक्षित विकल्प हैं।
कीमत की बात करें तो ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों से लगभग दोगुने महंगे होते हैं। जहां एक साधारण फुलझड़ी लगभग 200 में मिलती है, वहीं ग्रीन फुलझड़ी 400 से 450 तक की होती है। इसी तरह, सामान्य अनार का पैकेट 250-300 में उपलब्ध होता है, जबकि ग्रीन अनार का मूल्य 500 या उससे अधिक हो सकता है।
सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपील की है कि लोग इस दिवाली पर कम से कम पटाखों का उपयोग करें और यदि करें भी तो केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही जलाएं। इससे पर्यावरण की रक्षा होगी, साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सकेगा।