1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 06 Sep 2025 12:46:13 PM IST
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Life style: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्मार्टफोन और स्क्रीन का इस्तेमाल हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है। काम हो या मनोरंजन, हर चीज डिजिटल डिवाइस पर निर्भर है लेकिन लगातार स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने से आंखों और दिमाग पर गंभीर असर पड़ रहा है। ऐसे में एक नया ट्रेंड तेजी से पॉपुलर हो रहा है। आखिर क्या है ये नया ट्रेंड? जानने के लिए पढ़ें हमारी ये खास रिपोर्ट-
डिजिटल फास्टिंग क्या है?
डिजिटल फास्टिंग का मतलब है कि हम कुछ समय के लिए मोबाइल, लैपटॉप, टीवी और टैब जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ से दूरी बना लें। इसका उद्देश्य होता है आंखों को आराम देना, दिमाग को थोड़ा सुकून देना और शरीर की थकान को कम करना। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तरीका कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचने में असरदार हो सकता है।
स्क्रीन से दूरी क्यों जरूरी है?
आजकल ज्यादातर लोग अपने दिन का बड़ा हिस्सा मोबाइल या लैपटॉप पर बिताते हैं, चाहे वो ऑफिस का काम हो या बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई। रोज़ाना 8 से 10 घंटे स्क्रीन देखने की आदत से आंखों में जलन, धुंधलापन, सिरदर्द, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। बच्चों में नजर कमजोर होने की शिकायत (मायोपिया) भी बढ़ रही है। साथ ही स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (ब्लू लाइट) नींद पर भी बुरा असर डालती है।
डिजिटल फास्टिंग से क्या लाभ होता है?
अगर समय-समय पर स्क्रीन से ब्रेक लिया जाए तो आंखों को राहत मिलती है, मानसिक तनाव कम होता है और नींद भी बेहतर आती है। साथ ही काम या पढ़ाई में ध्यान लगाने की क्षमता भी बढ़ती है।
डिजिटल फास्टिंग कैसे करें?
एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि "20-20-20 रूल" अपनाएं। यानी हर 20 मिनट बाद, 20 सेकंड के लिए, 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखें। इसके अलावा, अच्छी रोशनी में काम करें, पर्याप्त पानी पिएं और दिनभर की स्क्रीन टाइमिंग को एक नियम के तहत रखें। इससे शरीर और दिमाग दोनों को राहत मिलेगी।