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06-Mar-2025 10:29 PM
UP NEWS: जब व्हील चेयर नहीं मिला तब दिव्यांग पति को पीठ पर लादकर पत्नी सीएमओ पहुंच गयी। पति की दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए वो यहां आई हुई थी। तभी किसी ने उसका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर उसे वायरल कर दिया। देखते ही देखते हजारों लाखों इस वीडियो को देखने लगे। इस वीडियो पर यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की जब नजर गई तब उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया। डॉक्टर सहित 3 अधिकारियों पर कार्रवाई कर दी।
मामला यूपी के रायबरेली का है। यूपी के डिप्टी सीएम ने अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लखनऊ मंडल को मामले की जांच करने का आदेश दिया। जांच में डॉक्टर समेत दो कर्मचारियों की लापरवाही जब सामने आई तब ब्रजेश पाठक के आदेश पर सीएमओ ने तीनों पर कार्रवाई कर दी। दरअसल सीएमओ कार्यालय में दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनता है। महिला भी अपने दिव्यांग पति के लिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने पहुंची थी लेकिन जब उसे व्हील चेयर कही नहीं दिखा तब वो अपनी पीठ पर पति को लादकर सीएमओ पहुंच गयी।
महिला को देख लोग उसका वीडियो बनाने लगे। कई लोगों ने वीडियो को सोशल मीडिया पर डाल दिया और देखते ही देखते यह इतना वायरल हो गया कि इस पर डिप्टी सीएम सहित कई लोगों की नजर गई। फिर क्या था ब्रजेश पाठक ने जांच के आदेश दे दिये। सीएमओ ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। जिसमें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अरविंद कुमार, जतुआटप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. ब्रजेश कुमार और जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डीएस अस्थाना शामिल थे।
कमेटी की जांच में लापरवाही उजागर हुई। जांच रिपोर्ट तके आधार पर उपमुख्यमंत्री ने उप मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी व जिला दिव्यांग बोर्ड के नोडल अधिकारी डॉ. अम्बिका प्रकाश को मुख्यालय से हटा दिया। उन्हें जतुआटप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात किया गया है। वही डाटा इंट्री ऑपरेटर अनुकांत आनंद को भी यूडीआईडी कार्य से हटाया गया है। जबकि चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी अनिल कुमार को निलंबित करने की सिफारिश की गई है। कमेटी की सिफारिश पर अनिल कुमार को निलंबित कर दिया गया है।
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने निर्देश दिया कि दिव्यांग बोर्ड में सभी आवश्यक संसाधन जुटाए जाएं और दिव्यांगजनों को असुविधा से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लापरवाह लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। यह घटना सिस्टम की लापरवाही और असंवेदनशीलता को उजागर करती है। दिव्यांग व्यक्ति को प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ऐसी मुश्किलों से गुजरना पड़े, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
सरकार और प्रशासन की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि ऐसे स्थानों पर आवश्यक सुविधाएं, जैसे व्हीलचेयर, प्राथमिकता से उपलब्ध कराई जाएं। हालांकि, इस मामले में कार्रवाई की गई और दोषियों पर गाज गिरी, लेकिन यह सिर्फ एक उदाहरण है। असली बदलाव तब आएगा जब सरकारी दफ्तरों और अस्पतालों में दिव्यांगों के लिए बुनियादी सुविधाओं की अनिवार्यता को गंभीरता से लागू किया जाएगा।