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Mahakumbh 2025: महाकुंभ के किस्से, अचानक बदल दिया गया ट्रेन का प्लेटफॉर्म; आखिर क्यों आजम खान ने दिया इस्तीफा

Mahakumbh 2025: अचानक लोगों की चीख-पुकार गूंजने लगी। मैं प्लेटफॉर्म नंबर 6 की तरफ दौड़ा। वहां पैर रखने की जगह नहीं थी। लाखों लोग बदहवास होकर इधर-उधर भाग रहे थे।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 18 Jan 2025 09:00:38 AM IST

Mahakumbh 2025:

महाकुंभ की कहानी - फ़ोटो SOCIAL MEDIA

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से सबसे बड़े धार्मिक संगम महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जो 26 फरवरी तक जारी रहेगा। महाकुंभ मेले में भारत समेत दुनियाभर से करोड़ों लोग शामिल होने पहुंचे हैं। लेकिन आपको मालूम है कि इससे पहले साल 2013 में कुंभ भी लगाया गया था और इस दौरान एक दर्दनाक खबरें भी सामने आई थी। जिसके बाद से एक राजनेता को अपना पद भी छोड़ना पड़ा था। आइए आपको बताते हैं इसकी पूरी कहानी। 


साल 2013 दिनांक 10 फरवरी 2013 दिन शुक्रवार प्रयाग में कुंभ लगा था। उस दिन मौनी अमावस्या थी। तीन करोड़ से ज्यादा लोग संगम में डुबकी लगा चुके थे। शाम साढ़े सात-आठ बजे की बात है। कुछ लोग प्रयागराज जंक्शन के बाहर एक दुकान पर चाय पी रहा थे। तभी अचानक लोगों की चीख-पुकार गूंजने लगी। ऐसे में लोग प्लेटफॉर्म नंबर 6 की तरफ दौड़े। वहां पैर रखने की जगह नहीं थी। लाखों लोग बदहवास होकर इधर-उधर भाग रहे थे। एक-दूसरे पर गिरते-गिराते। बहुत भयावह मंजर था।


जब भगदड़ थमी तो प्लेटफॉर्म पर लाशें बिखरी पड़ी मिलीं। इनमें महिलाएं, पुरुष, जवान और बुजुर्ग सब शामिल थे। कुल 36 लोग मारे गए। कई लोगों को मैंने अपनी आंखों से मरते देखा था। इलाज नहीं मिलने से लोग तड़प-तड़प कर मर गए। इसकी वजह थी कि प्रयाग जंक्शन रेलवे स्टेशन पर दो साइड हैं। एक सिविल लाइन्स और दूसरा चौक साइड। संगम स्नान के बाद लौटने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए चौक साइड में बाड़े बनाए गए थे। अलग-अलग रूट के लिए अलग-अलग बाड़े।


उनके रूट की तरफ जाने वाली ट्रेन जब आती थी, तब उनके बाड़े को खोला जाता था, लेकिन उस रोज प्रशासन की लापरवाही से ये सिस्टम बिगड़ गया था। हुआ कुछ ऐसा कि अचनाक अनाउंसमेंट हुआ कि ट्रेन प्लेटफॉर्म नं 6 की बजाय दूसरे प्लेटफॉर्म पर आएगी। इतना सुनते ही लोग उस प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए भागने लगे। फुट ओवर ब्रिज पर तो तिल रखने तक की जगह नहीं थी।


लोगों को भागते देख रेलवे पुलिस लाठी भांजने लगी। एक दूसरे के ऊपर लोग गिरने लगे। भगदड़ मच गई। कई लोग तो ओवर ब्रिज से गिर भी गए। 2013 कुंभ के वक्त यूपी में सपा की सरकार थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री। आजम खां को मेले का प्रभारी मंत्री बनाया गया था। हादसे के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए आजमा खां ने इस्तीफा तो दिया, लेकिन दोष रेलवे और मीडिया पर मढ़ दिया। उन्होंने कहा- ‘जहां तीन करोड़ लोग एक दिन में आए, वहां इस तरह के हादसे के बारे में किसी को जिम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता। मीडिया की सूचना की वजह से भी जो पैनिक क्रिएट हुआ है, उसे कंट्रोल करना है।’ यूपी सरकार ने मृतकों को पांच-पांच लाख और घायलों को एक-एक लाख रुपए मुआवजा दिया। जबकि रेलवे की तरफ से मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए दिए गए।