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India-Russia Defense Deal: भारत-रूस डिफेंस डील से कराह उठा अमेरिका, कहा "यह तो दोस्ती निभाने का तरीका बिल्कुल नहीं"

India-Russia Defense Deal: भारत-रूस डिफेंस डील पर अमेरिका चिंतित हो चला है। धीरे-धीरे ही सही इस जर्जर महाशक्ति को एहसास हो चला है कि अब गए वो दिन जब सब USA से डरते थे।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 03 Jun 2025 11:48:17 AM IST

India-Russia Defense Deal

भारत-रूस डिफेंस डील - फ़ोटो Google

India Russia Defense Deal: अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटकनिक ने भारत और रूस के बीच सैन्य साझेदारी और डॉलर के वर्चस्व के खिलाफ भारत के रुख पर चिंता जताई है। वॉशिंगटन डीसी में 3 जून 2025 को यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में लटकनिक ने कहा कि भारत का रूस से हथियार खरीदना और ब्रिक्स के जरिए डॉलर के वैश्विक प्रभाव को कम करने की कोशिशें अमेरिका को "नागवार" गुजरी हैं।


उन्होंने कहा यह तो बिलकुल "अमेरिका में दोस्त बनाने का तरीका नहीं है"। लटकनिक ने भारत से रूसी हथियारों की खरीद को बंद करने और इसके बजाय अमेरिकी सैन्य उपकरण खरीदने की अपील की है, जिसमें ट्रम्प प्रशासन द्वारा हाल ही में ऑफर किए गए F-35 फाइटर जेट तक शामिल हैं। लटकनिक ने भारत के रूस से लंबे समय से चले आ रहे सैन्य संबंधों पर असहजता जताते हुए कहा कि भारत का रूस से S-400 और हाल ही में Su-57 फाइटर जेट की संभावित खरीद अमेरिका के लिए चिंता का विषय है।


उन्होंने आगे कहा, “रूस से हथियार खरीदना अमेरिका को चुभता है। अच्छा है कि भारत अब अमेरिकी हथियारों की ओर बढ़ रहा है, जो रिश्तों को आगे मजबूत करने में मदद करेगा।” आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने 2008 से अब तक में अमेरिका से 20 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा उपकरण खरीदे हैं, जिसमें हाल के P-8I मैरीटाइम सर्विलांस विमान भी शामिल हैं।


हालांकि, रूस के साथ भारत की डील (2018 में S-400) ने अमेरिका को नाराज किया था, जिसके बावजूद भारत ने रूस के साथ सौदा पूरा किया। इसके अलावा ब्रिक्स समूह में भारत की भूमिका और डॉलर के खिलाफ रुख पर लटकनिक ने कहा है, “भारत ब्रिक्स में शामिल होकर डॉलर की वैश्विक स्थिति को चुनौती दे रहा है, जो अमेरिका के साथ दोस्ती बढ़ाने का तरीका नहीं है।”


वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मुद्दे पर 2025 में कहा था कि ब्रिक्स में डॉलर को बदलने की कोई एकीकृत योजना नहीं है, लेकिन रूस और ईरान जैसे देश, जो अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं, वैकल्पिक मुद्रा की वकालत तो करते हैं। लटकनिक ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार घाटे को कम करने के लिए टैरिफ कम करना चाहिए और अमेरिकी रक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ानी चाहिए।