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Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी: उपवास, आस्था और ममता से जुड़ा मातृत्व का पावन पर्व

Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी का व्रत भारतीय संस्कृति में मां और संतान के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह विशेष दिन हर उस मां के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है जो अपनी संतान की लंबी उम्र, सफलता और सुखमय जीवन की कामना करती है। इस दिन माताएं सूर्योदय से

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 13 Oct 2025 07:05:53 AM IST

Ahoi Ashtami

Ahoi Ashtami - फ़ोटो Google

Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी का व्रत भारतीय संस्कृति में मां और संतान के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह विशेष दिन हर उस मां के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है जो अपनी संतान की लंबी उम्र, सफलता और सुखमय जीवन की कामना करती है। इस दिन माताएं सूर्योदय से लेकर रात तक बिना जल ग्रहण किए व्रत करती हैं, जिसे निर्जल व्रत कहा जाता है। संध्या समय तारों के दर्शन के बाद वे अहोई माता की विधिपूर्वक पूजा करती हैं और फिर व्रत का पारण करती हैं।


यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। इसका आयोजन कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। लोक मान्यता है कि अहोई माता अपने भक्तों की संतान को लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सफलता का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए मांएं पूरे मन और भक्ति से यह व्रत करती हैं।मां और बच्चे का संबंध दुनिया का सबसे पवित्र और भावनात्मक रिश्ता होता है। एक मां अपने बच्चे के लिए हर कठिनाई सहने को तैयार रहती है। उसका प्यार निःस्वार्थ होता है, जिसमें केवल अपने बच्चे के भले की कामना होती है। अहोई अष्टमी का पर्व इसी मातृत्व प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। कई महिलाएं यह व्रत केवल अपने बच्चों की खुशहाली के लिए ही नहीं, बल्कि संतान प्राप्ति की मनोकामना से भी करती हैं।


आज के आधुनिक समय में त्योहारों को मनाने का तरीका भी बदल गया है। पहले जहां लोग व्यक्तिगत रूप से मिलकर शुभकामनाएं देते थे, वहीं अब डिजिटल दुनिया में मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम से सन्देश भेजना आम हो गया है। अब हम त्योहारों की शुभकामनाएं सुंदर कोट्स, इमेजेस और वीडियो के जरिए एक-दूसरे को भेज सकते हैं। इस प्रकार, अपने प्रियजनों को त्योहार की बधाई देना और भावनाएं साझा करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है।त्योहारों का महत्व केवल पूजा-पाठ और धार्मिक क्रियाओं में ही नहीं होता, बल्कि यह आपसी प्रेम, स्नेह, और समाज में सौहार्द बनाए रखने का भी अवसर होता है। ये पर्व हमें रिश्तों की अहमियत समझाते हैं और इस बात की याद दिलाते हैं कि छोटी-छोटी बातों में भी अपनापन छिपा होता है।


इस अहोई अष्टमी पर, हम सभी को चाहिए कि मां के इस प्रेम और त्याग को सम्मान दें, और अपने आसपास की माताओं को शुभकामनाएं देकर उनका दिन और भी खास बनाएं।